राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ शिमला में सीबीआई के अधिकारी वर्ष 2017 और 2018 में करीब डेढ़ साल तक रहे, उस समय का यह बिल है हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम...
सीबीआई ने हिमाचल पर्यटन निगम के 21.96 लाख का बिल देने से किया इंकार
राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ शिमला में सीबीआई के अधिकारी वर्ष 2017 और 2018 में करीब डेढ़ साल तक रहे, उस समय का यह बिल है
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के 21.96 लाख रुपये के बिलों का भुगतान करने से सीबीआई ने साफ इन्कार कर दिया है। नई दिल्ली से आई सीबीआई की चिट्ठी से एचपीटीडीसी फिर निराश हो गया है। करीब चार साल तक इन बिलों का भुगतान सरकारी महकमों के बीच फुटबाल बना रहा तो थक-हारकर निगम ने सीबीआई को इसकी चिट्ठी भेजी थी। निगम ने राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ शिमला में सीबीआई के अधिकारियों को वर्ष 2017 और 2018 में करीब डेढ़ साल तक सरकारी मेहमान बनाया था। इनके पास छह कमरे थे। यहां सीबीआई ने अपना बेस कैंप बनाया। भोजन-पानी का प्रबंध भी निगम ने ही किया। सरकारी मेहमानों का खर्च राज्य सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग जीएडी वहन करता है। वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में सीबीआई टीम इस बहुचर्चित मामले की जांच के लिए हिमाचल प्रदेश आई तो उस वक्त शुरू हुई यह मेहमाननवाजी जयराम सरकार के कार्यकाल में भी लंबे समय तक बनी रही। जयराम सरकार के कार्यकाल में जब निगम ने करीब 21,96,590 रुपये के बिल बनाकर जीएडी को दिए तो इनका भुगतान नहीं हुआ। इसके बाद यह बिल एचपीटीडीसी, जीएडी और गृह विभाग के बीच फुटबाल ही बने रहे। यह खेल करीब चार साल तक चला रहा।
सीबीआई ने कहना है कि कानूनन राज्य सरकार को ही इसके ठहराव की व्यवस्था करनी थी, जिसका खर्च राज्य सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग जीएडी वहन करता है
वर्तमान सुक्खू सरकार सालभर पहले सत्ता में आई तो यह मामला फिर समीक्षा के लिए आया तो यह तय किया किया गया कि सीबीआई के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय को ही भुगतान के लिए चिट्ठी लिखी जाए। अब नई दिल्ली से सीबीआई की एससी-1 शाखा के पुलिस अधीक्षक राजपाल सिंह का पत्र आया है, जिसमें दो टूक कहा गया है कि यह भुगतान सीबीआई नहीं कर पाएगी। सीबीआई ने कहा है कि कानूनन राज्य सरकार को ही इसके ठहराव की व्यवस्था करनी थी। वहीं, एचपीटीडीसी के प्रबंध निदेशक डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि अब इस मामले को राज्य सरकार के समक्ष दोबारा से उठाया जा रहा है। जीएडी ने जब देखा कि सीबीआई महीनों डटे रहने के बाद भी पीटरहॉफ को नहीं छोड़ रही तो इस पर बार-बार पूछती रही कि कब वह कमरे खाली करेगी। इस पर जवाब मिलता रहा कि जांच जारी है। जांच के पूरा होने पर वह पीटरहॉफ को छोड़ देगी। वह कोर्ट के एक आदेश का हवाला देती रही, जिसके अनुसार राज्य सरकार को ही इस तरह की व्यवस्था करनी थी।