घाटी में लंगूरों ने बरपाया कहर, तंग आकर बागबानों ने सेब के पौधे काटे जनजातीय उपमंडल की होली घाटी में रावी नदी का जलस्तर कम होने के कारण पहाड़ों से...
होली घाटी में लंगूरों ने तबाह किए सेब के बागीचे
घाटी में लंगूरों ने बरपाया कहर, तंग आकर बागबानों ने सेब के पौधे काटे
जनजातीय उपमंडल की होली घाटी में रावी नदी का जलस्तर कम होने के कारण पहाड़ों से निकल कर लंगूरों की फौज सेब के बागीचों पर कहर बरपाने लगी है। न्याग्रां से लेकर होली तक के हिस्से में नदी के लेफट बैंक पर सेब के बागीचों को लंगूरों ने तहस-नहस कर दिया है। हालात यहां तक पहुंच गए है कि कुछ बागबानों ने अपने सेब के पौधों को दुखी होकर काट दिया है। बड़ी वजह एक यह भी है कि सर्दियों में पानी का जलस्तर कम हो जाता है। इसके साथ ही रावी नदी पर बजोली-होली पावर प्रोजेक्ट का बांध बनने से भी जलस्तर काफी कम हो गया है। नतीजतन पहाड़ों की ओर से लंगूर सैकड़ों की तादाद में नदी को पार कर सेब के पौधों को अपना निशाना बना रहे है।
लंगूरों की फौज पौधों की छाल निकाल देते है जिससे पौधा सूख जाता है
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह पहला मौका है, जब नदी को पार कर लंगूर सेब बगीचों की ओर रूख कर रहे है। ग्रामीणों का कहना है कि नदी पर बांध बनने और सदियों में रावी का जलस्तर बेहद कम होने के कारण लंगूर पहाड़ों से निचले इलाकों की ओर आ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अब सैकड़ों सेब के पौधों को लंगूरों ने बुरी तरह से नोच डाला है। उन्होंने बताया कि लंगूरों की फौज पौधों की छाल निकाल देते है। इससे धीरे-धीरे पौधा सूखने लगता है और एक समय आने पर यह पूरी तरह से खत्म हो जाता है। बागबानों ने प्रशासन से भी मांग की है कि लंगूरों के आंतक से मुक्ति दिलाने के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाएं।