दोनों की मौत 2 दिन के अंतराल में उपचार के दौरान हुई जिले के सलूणी क्षेत्र की स्नूह पंचायत में घास काटते समय अज्ञात जहरीले कीड़े के काटने से मां व ब...
सलूणी क्षेत्र की स्नूह पंचायत में घास काटते समय जहरीले कीड़े ने काटा, मां-बेटे की मौत
दोनों की मौत 2 दिन के अंतराल में उपचार के दौरान हुई
जिले के सलूणी क्षेत्र की स्नूह पंचायत में घास काटते समय अज्ञात जहरीले कीड़े के काटने से मां व बेटे की मौत हो गई। दोनों की मौत 2 दिन के अंतराल में उपचार के दौरान हुई है। इससे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। महिला को उसके पति, जबकि युवक को उसकी बहन ने मुखाग्नि दी। क्षेत्र में पहली बार किसी बहन ने अपने भाई को मुखाग्नि दी है। नावेदी ठाकुर उर्फ स्नेहा ने मुखाग्नि देने के साथ ही अंतिम संस्कार की सभी रस्में निभाईं। यह मंजर देख हर किसी की आंख नम थी। रेखा देवी पत्नी सुभाष निवासी गांव स्नूह अपने बेटे आशीष को लेकर खेतों से पशुओं के लिए चारा लेने गई।
घास काटते रेखा को किसी अज्ञात कीड़े ने काट लिया, लेकिन रेखा को उस समय इसका एहसास नहीं हुआ
वहां पर घास काटते रेखा को किसी अज्ञात कीड़े ने काट लिया, लेकिन रेखा को उस समय इसका एहसास नहीं हुआ। इसके बाद काटे घास को उसका बेटा आशीष अपने सिर पा उठाकर घर ले गया। करीब एक सप्ताह बाद मां रेखा और बेटे आशीष के शरीर पीले पड़ने लगे और बार-बार बुखार आने लगा। दोनों का स्थानीय अस्पतालों में उपचार करवाया, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद सुभाष कुमार अपनी पत्नी और बेटे को मैडीकल कालेज चम्बा ले गया, जहां पर चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार देने उपरांत दोनों को दाखिल कर लिया। रेखा की बिगड़ती हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे मैडीकल कालेज टांडा रैफर कर दिया, जबकि आशीष अस्पताल में उपचाराधीन था। रक्षाबंधन के दिन रेखा ने बीमार हालत में अपने 2 भाइयों को राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना की। इसके बाद परिजन उसे मैडीकल कालेज टांडा ले जा रहे थे तो रास्ते में रेखा देवी ने दम तोड़ दिया।
एक तरफ पत्नी का दाह-संस्कार हो रहा था तो दूसरी तरफ सुभाष का बेटा आशीष चम्बा अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ रहा था
परिजन उसके शव को पैतृक गांव स्नूह ले गए। इसी बीच चिकित्सक ने चम्बा में उपचाराधीन उसके बेटे आशीष को छुट्टी दे दी। जब आशीष घर पहुंचा तो मां को मृत देख उसकी तबीयत फिर बिगड़ गई। आशीष के चाचा और परिजन आशीष को दोबारा मैडीकल कालेज चम्बा ले गए, जबकि सुभाष ने अपनी पत्नी को मुखाग्नि देकर दाह-संस्कार किया। एक तरफ पत्नी का दाह-संस्कार हो रहा था तो दूसरी तरफ सुभाष का बेटा आशीष चम्बा अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ रहा था। चिकित्सक ने आशीष को प्राथमिक उपचार देने उपरांत उसे भी मैडीकल कालेज टांडा रैफर किया। आशीष के चाचा और रिश्तेदार उसे टांडा ले गए। टांडा मैडीकल कालेज पहुंचने के कुछ समय बाद आशीष कुमार ने भी दम तोड़ दिया।
उजड़ गया सुभाष का परिवार, आशीष बनीखेत पॉलीटैक्नीक कालेज में इलैक्ट्रिकल ट्रेड में शिक्षा ग्रहण कर रहा था
सुभाष को पत्नी का दाह-संस्कार करने के चंद ही घंटे बाद ही बेटे की मौत की सूचना मिलते से उसके पैरों तले जमीन ही खिसक गई। खुशी-खुशी जीवन-यापन कर रहे सुभाष का कुछ ही पलों में परिवार उजड़ गया। सुभाष ने अपनी पत्नी का दाह-संस्कार किया और हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक बाप अपने बेटे को मुखाग्नि और किरया-कर्म नहीं कर सकता। ऐसा करना दोष माना जाता है। ऐसी सूरत में सुभाष की बेटी नावेदी ने अपने भाई आशीष को मुखाग्नि दी। घर में एक तरफ सुभाष अपनी पत्नी रेखा का किरया-कर्म और दूसरी ओर नावेदी अपने भाई का किरया-कर्म करने का निर्णय लिया। आशीष बनीखेत पॉलीटैक्नीक कालेज में इलैक्ट्रिकल ट्रेड में शिक्षा ग्रहण कर रहा था।