चिकित्सकों ने पैनेविक एसिटा बूलम सर्जरी कर किया कमाल मरीज चलने फिरने में असमर्थ था पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने चम्बा...
मेडिकल कॉलेज चम्बा में पहली बार कूल्हे की सफल सर्जरी
चिकित्सकों ने पैनेविक एसिटा बूलम सर्जरी कर किया कमाल मरीज चलने फिरने में असमर्थ था
पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने चम्बा जिले में पहली बार पैनेविक एसिटा बूलम सर्जरी की है। कूल्हे के ऊपर की हड्ड़ी टूटने या खिसकने पर यह सर्जरी करने की जरूरत पड़ती है। यह सर्जरी प्रदेश के अन्य बड़े स्वास्थ्य संस्थानों में भी चार या पांच साल पहले शुरू हुई है।
यह सर्जरी चम्बा में होना किसी सपने से कम नहीं था। मेडिकल कॉलेज के हड्ड़ी रोग विभाग के विशेषज्ञों ने इसमें सफलता पाई है। निजी हॉस्पिटल में इस ऑपरेशन पर मरीज के 3.50 या 4 लाख रूपये खर्च होने थे लेकिन मेडिकल कॉलेज में यह 20 हजार में हो गया। मंगलवार को दुर्घटना में घायल मरीज को मेडिकल कॉलेज लाया गया। मरीज चलने फिरने में असमर्थ था। पहले निजी अस्पताल से उसे टांडा मेडिकल कॉलेज जाने की सलाह दी गई। मरीज निर्धन होने के कारण जिले से बाहर इलाज करवाने में असमर्थ था। वह सरकारी अस्पताल में हड्ड़ी रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ मानिक सहगल के पास गया उन्होंने सर्जरी करने के लिए हामी भरी। यह भी कहा यह सर्जरी चम्बा में पहली बार होगी इसलिए इसमें जोखिम भी है। परन्तु मरीज के तमीरदारों ने हामी भर दी। बुधवार को ही मरीज को ऑपरेशन थिएटर में सर्जरी के लिए लिया गया। हड्ड़ी रोग के अध्यक्ष एवं चीफ ऑपरेटिंग सर्जन सहित आधा दर्जन से अधिक चिकित्सकों ने ऑपरेशन में भाग लिया। दो घण्टे के सफल ऑपरेशन के बाद जब मरीज को बाहर निकला गया तो चिकित्सकों ने परिजनों को ऑपरेशन सफल रहने की बधाई दी। उन्होंने कहा मरीज कुछ माह बाद बिलकुल ठीक हो जायेगा। दो महीने तक विशेषज्ञ उसे अपनी निगरानी में रखेंगे।
हड्ड़ी विभाग के अध्यक्ष डॉ मानिक सहगल ने बताया कि चम्बा में यह सर्जरी पहली बार हुई है। इसे सफल बनाने में प्राचार्य डॉ एस एस डोगरा और मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ पंकज का सहयोग रहा।
डॉ मानिक सहगल ने खुद किया सी प्लेट का निर्माण
हड्ड़ी विभाग के अध्यक्ष डॉ मानिक सहगल ने ऑपरेशन करने के लिए इस्तेमाल होने वाली सी प्लेट का निर्माण बान मॉडल प्लेटों से स्वयं किया। इसके चलते मरीज को प्लेट पर हजारों रूपये खरच नहीं करने पड़े।