आजादी के 8 दशक बाद भी गांव में नहीं पहुंची सड़क, ग्रामीणों ने गर्भवती महिला को ऐसे पहुंचाया अस्पताल

गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा बढ़ने पर पालकी के सहारे अढ़ाई किलोमीटर लाए लोग  डल्हौजी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत पिछला डियूर के आधा दर्जन...

आजादी के 8 दशक बाद भी गांव में नहीं पहुंची सड़क, ग्रामीणों ने गर्भवती महिला को ऐसे पहुंचाया अस्पताल

आजादी के 8 दशक बाद भी गांव में नहीं पहुंची सड़क, ग्रामीणों ने गर्भवती महिला को ऐसे पहुंचाया अस्पताल

गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा बढ़ने पर पालकी के सहारे अढ़ाई किलोमीटर लाए लोग 

डल्हौजी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत पिछला डियूर के आधा दर्जन गांव सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं, जिस कारण गर्भवती महिलाएं व बीमार व्यक्ति पालकी में उठाकर सड़क तक पहुंचाने पड़ रहे हैं। पिछला डियूर पंचायत के कुलाई गांव में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा बढ़ने पर पालकी के सहारे अढ़ाई किलोमीटर उतराई भरे व कठिन रास्ते को पैदल तय करते हुए सड़क तक पहुंचाया और उसके बाद मेडिकल काॅलेज चम्बा ले जाया गया। यहां महिला का सफलतापूर्वक प्रसव करवाया गया। प्रसव के बाद महिला के परिजनों के सामने महिला को घर पहुंचाने की चिंता थी। चम्बा से वापस आए तो फिर पालकी की व्यवस्था करनी पड़ी और उसी पालकी में ग्रामीणों के सहयोग से बड़ी मुश्किल से महिला को घर पहुंचाया गया। इस दौरान उन्हें मानसिक परेशानी से गुजरना पड़ा।

ग्रामीण बोले-नेता सिर्फ वोट बटोरने तक ही सीमित

ग्रामीणों का कहना है कि जब भी गांव में कोई व्यक्ति बीमार या चोटिल होता है तो उसे उपचार के लिए ले जाने के लिए इसी तरह की परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। वहीं गर्भवती महिलाओं को भी गर्भावस्था के दौरान ऐसी ही परिस्थितियों का सामना करते हुए पालकी में बिठाकर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है। मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में कई अतिरिक्त घंटों का समय लग जाता है, जिससे मरीज को सही समय पर उपचार न मिलने से उनका मर्ज और बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि आजादी के 8 दशक बाद भी पंचायत के आधा दर्जन गांवों की 1000 से अधिक की आबादी सड़क सुविधा को आज भी तरस रही है। रोजमर्रा की वस्तुएं पीठ पर उठाकर या खच्चरों के सहारे कई किलोमीटर के पैदल रास्ते से घरों तक पहुंचानी पडती हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यहां नेता सिर्फ वोट बटोरने तक ही सीमित रहे हैं। 

नकदी फसलों काे सड़क पहुंचाने में होता है ज्यादा खर्चा

ग्रामीणों के अनुसार पंचायत का लोदली गांव तो सड़क से करीब 5 किलोमीटर की ऊंचाई पर है। यहां के लोगों को जरूरी सामान घर तक पहुंचाने में खच्चर का काफी किराया अदा करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा उनके गांव के लिए सड़क के सर्वे तो कई बार किए जा चुके हैं, लेकिन सर्वे से आगे कार्य बढ़ नहीं पाया है। ग्रामीणों का कहना है कि गांवों में मटर, फ्रासबीन व आलू आदि कई नकदी फसलें उगाई जाती हैं, जिन्हें सड़क तक पहुंचाने में काफी खर्च करना पड़ता है। ग्रामीणों धनीराम, चतर सिंह, देशराज, कर्म सिंह, डोगरु राम, हरिचंद, किशन चंद, खेमराज, रफीक, भोट, दीप राज, नाई तुला कासम व याकूफ आदि ने सरकार व संबंधित विभाग से मांग की है कि जल्द से जल्द उनके गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ने के प्रयास शुरू किए जाएं, ताकि उन्हें सड़क सुविधा प्राप्त हो सके। 

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