मामले की जांच कर रही इस SIT पर गुड़िया मामले में आरोपी सूरज की पुलिस लॉकअप में हत्या का आरोप हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार पुलिस की पूरी जां...
हिमाचल के इतिहास में पहली बार पुलिस की पूरी जांच टीम को उम्रकैद
मामले की जांच कर रही इस SIT पर गुड़िया मामले में आरोपी सूरज की पुलिस लॉकअप में हत्या का आरोप
हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार पुलिस की पूरी जांच टीम को किसी मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा हुई है। वहीं, सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। पूरे देश में भी यह अपनी तरह का पहला मामला होने के दावे भी किए जा रहे हैं। चार जुलाई 2017 को शिमला जिला के कोटखाई के महासू जंगल में दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली 16 साल की छात्रा की दुराचार के बाद हत्या कर दी गई थी। पूरे देश में आक्रोश दिखा। लोगों के भारी विरोध के बाद तत्कालीन सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। मामले की जांच कर रही इस एसआईटी पर गुड़िया मामले में आरोपी बनाए गए युवक सूरज की पुलिस लॉकअप में हत्या का आरोप लगा।
सात साल दो माह तक सूरज हत्याकांड मामले में चला ट्रायल
सीबीआई को मामले की जांच सौंपी गई। अगस्त 2017 में आठ पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की गिरफ्तारी हुई। 25 नवंबर 2017 को सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट दायर हुई। सात साल दो माह तक सूरज हत्याकांड मामले में ट्रायल चला। केस शिमला से चंडीगढ़ शिफ्ट हुआ। कोर्ट ट्रायल में एसआईटी को सूरज हत्याकांड के लिए दोषी पाया गया। सोमवार को सीबीआई के चंडीगढ़ कोर्ट ने पूरी एसआईटी को उम्र कैद की सजा सुनाई है। सोमवार शाम को सीबीआई कोर्ट की ओर से सुनाई गई सजा के बाद से प्रदेश की अफसरशाही में हड़कंप मच गया है। सोशल मीडिया पर इसको लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दी जा रही हैं।
जैदी ने साल 2028, मनोज जोशी ने 2039 में होना था सेवानिवृत्त
आईजी जहूर हैदर जैदी ने 31 दिसंबर 2028 और डीएसपी मनोज जोशी ने 30 सितंबर 2039 को सेवानिवृत्त होना था।
नौकरी से बर्खास्त हो सकते हैं दोषी पुलिस अधिकारी और कर्मी
सूरज हत्याकांड में दोषी पाए गए सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की अब नौकरी से बर्खास्तगी हो सकती है। इनमें एक सेवानिवृत्त हो चुका है। सरकार के स्तर पर इसको लेकर मंथन शुरू हो गया है। हालांकि अभी सीबीआई कोर्ट चंडीगढ़ की विस्तृत जजमेंट का इंतजार किया जा रहा है। 18 जनवरी को दोषी करार होते ही गिरफ्तार होने के बाद गृह विभाग ने सात पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया था।
डीजीपी बोले, जजमेंट पढ़ने के बाद दे सकेंगे प्रतिक्रिया
आईजी जैदी सहित आठ पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सीबीआई कोर्ट की ओर से सुनाई गई सजा पर हिमाचल के डीजीपी अतुल वर्मा ने कहा कि कोर्ट की जजमेंट पढ़ने के बाद ही इस मामले में कोई प्रतिक्रिया दी जा सकेगी।
लॉगबुक भी रही जैदी की सजा में अहम सबूत
18 जुलाई 2017 की रात को पुलिस हिरासत में सूरज की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। सीबीआई ने जब एसआईटी प्रमुख की सरकारी गाड़ी की लॉगबुक जांची तो उसमें कोटखाई दिखाया गया था। यहीं से आईपीएस जहूर जैदी की मुश्किलें शुरू हुईं। सीबीआई पूछताछ में उन्होंने साफ मना किया कि वह 18 जुलाई को कोटखाई में नहीं थे, लेकिन उनकी सरकारी गाड़ी की लॉगबुक दूसरी कहानी बयां कर रही थी। जैदी ने कहा कि लॉगबुक उनकी जानकारी के बिना ड्राइवर ने भर दी होगी, लेकिन सीबीआई जांच आठों पुलिस वालों के खिलाफ अदालत में पुख्ता सबूत पेश कर उम्र कैद की सजा दिलाने में कामयाब रही। बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में एकमात्र दोषी नीलू जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है। हालांंकि, गुडिया दुष्कर्म में केवल एक ही मुलजिम था, इस पर आज भी कई सवाल खड़े हैं। सीबीआई की जांच में गुड़िया मामले में नीलू के अलावा दूसरा कोई मुलजिम नहीं मिला।
CBI की जुन्गा लैब में मौजूद DNS सैंपल जाँच के बाद तय हुआ कि गुनहगार एक ही है
साइंटिफिक एविडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि गुनगहार नीलू ही है। पुलिस ने मौके से गुड़िया के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी। जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त 2017 में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास अपराध के साइंटिफिक एविडेंस हैं। यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता दिखाई होती तो शायद एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती। सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे। उस जांच के बाद तय हो गया कि गुनहगार एक ही है।
सीबीआई ने लिए थे करीब 250 सैंपल
सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुड़िया के शरीर से कलेक्ट सैंपल के डीएनए से मैच नहीं हुआ।
गुड़िया की मां के अनुसार पुलिस वालों को ठीक हुआ, पर नहीं मिला गुड़िया को न्याय
सीबीआई जांच से गुड़िया की मां संतुष्ट नहीं है। गुड़िया की मां ने कहा कि पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ तो ठीक हुआ, पर गुड़िया को न्याय नहीं मिला है। गुड़िया की मां ने बताया कि बेटी की मौत के बाद पुलिस ने तफ्तीश ठीक से नहीं की तो उनको तो जेल ही जाना था। बेकसूर को थाने में जबरन आरोप कबूल करने के लिए मारा-पीटा गया, इसलिए पुलिस को उसका खमियाजा भुगतना पड़ा है। गुड़िया की माता ने बताया कि बेटी के गुनहगार अभी भी खुले में घूम रहे हैं। गुड़िया को अभी तक इंसाफ नहीं मिला है और उसके हत्यारे आज भी घूम रहे हैं।