मिड-डे मील वर्कर को 4500 बताकर दिया जा रहा 3500 रुपये मानदेय

सरकार मिड-डे मील वर्करों का कर रही शोषण  मिड-डे मील वर्करों को 4500 बताकर 3500 रुपये मासिक मानदेय दिया जा रहा है। सरकार इन वर्करों का शोषण कर...

मिड-डे मील वर्कर को 4500 बताकर दिया जा रहा 3500 रुपये मानदेय

मिड-डे मील वर्कर को 4500 बताकर दिया जा रहा 3500 रुपये मानदेय

सरकार मिड-डे मील वर्करों का कर रही शोषण 

मिड-डे मील वर्करों को 4500 बताकर 3500 रुपये मासिक मानदेय दिया जा रहा है। सरकार इन वर्करों का शोषण कर रही है। इसके विरोध में मिड-डे मील वर्कर यूनियन ब्लॉक कमेटी कलहेल की बैठक बुधवार को नकरोड़ में हुई। इसकी अध्यक्षता कमेटी के अध्यक्ष होशयारा राम ने की। बैठक में सीटू जिला अध्यक्ष नरेंद्र मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि 3500 रुपये में परिवार चलाना संभव नहीं है। बावजूद इसके मिड-डे मील वर्कर सेवाएं दे रहे हैं। कहा कि मिड-डे मील वर्कर आज के समय से सबसे बदतर जिंदगी जी रहे हैं। विभाग मानदेय बढ़ाने के लिए हर साल नए फरमान निकाल रहा है। कभी गार्डन तैयार करने की अधिसूचना आ जाती है तो कभी अतिरिक्त काम थोप दिए जाते हैं। 

हाईकोर्ट ने फैसले में साफ कहा है कि मिड-डे मील वर्कर को 12 माह का मानदेय मिलना चाहिए, लेकिन सरकार इसकी अधिसूचना में कर रही है देरी 

जुलाई में ही विभाग ने प्री प्राइमरी के बच्चों को संभालने की अधिसूचना जारी की है। सवाल यह है कि मिड-डे मील वर्कर खाना तैयार करेगा या बच्चों को संभालेगा। कहा कि हाईकोर्ट ने फैसले में साफ कहा है कि मिड-डे मील वर्कर को 12 माह का मानदेय मिलना चाहिए, लेकिन सरकार इसकी अधिसूचना नहीं निकाल रही है। बजाय इसके 3500 रुपये देकर आठ घंटे काम करवाना चाहती है। यूनियन के सचिव चंद्रमणि ने कहा की वर्करों में भारी रोष है। इसके विरोध में 18 जुलाई को पूरे हिमाचल में प्रदर्शन किए जाएंगे। मिड-डे मील वर्कर यूनियन भी चंबा में हल्ला बोलेगी। बैठक में जय राम, हुसैन, नारो, भेखी, लोभी, देसराज, उत्तम चंद, कर्म चंद, रीता, ढ़ोलकी, सावित्री, पुष्पा, तजबीवी, हुम देई, हर देई, कमलेश, वीना, चिनो, रूखी आदि शामिल रहे।