सुखू सरकार के सिर नया बवाल, पांगी घाटी बने अलग विधानसभा क्षेत्र

पांगवाल एकता मंच ने एक बार फिर अलग विधानसभा क्षेत्र के लिए छेड़ी मुहिम हिमाचल के जिला चंबा की पांगी घाटी जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्...

सुखू सरकार के सिर नया बवाल, पांगी घाटी बने अलग विधानसभा क्षेत्र

सुखू सरकार के सिर नया बवाल, पांगी घाटी बने अलग विधानसभा क्षेत्र

पांगवाल एकता मंच ने एक बार फिर अलग विधानसभा क्षेत्र के लिए छेड़ी मुहिम

हिमाचल के जिला चंबा की पांगी घाटी जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है। यहां के लोग लंबे समय से अलग विधानसभा क्षेत्र की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर पांगवाल एकता मंच ने एक बार फिर मुहिम छेड़ी है। हुडान भटौरी से इस मुहिम की औपचारिक शुरुआत की गई। इस मुहिम के तहत पांगी घाटी के लोग 2026 में होने वाले सीमा पुनर्निर्धारण के दौरान अपनी आवाज को मजबूत कर और सरकार से अलग विधानसभा क्षेत्र की मांग को बुलंद करना है। मंच के अध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर और उनके साथियों ने हर घर जाकर इस मुहिम के लिए समर्थन मांगा और लोगों को इसके महत्व के बारे में जागरूक किया।

19 पंचायतों में जनजागरण अभियान

पांगवाल एकता मंच का यह अभियान सिर्फ हुडान भटौरी तक सीमित नहीं रहेगा। त्रिलोक ठाकुर ने बताया कि इस मुहिम के तहत मंच के सदस्य घाटी की 19 पंचायतों का दौरा करेंगे। उनका उद्देश्य है कि हर एक व्यक्ति को यह समझाया जाए कि अलग विधानसभा क्षेत्र कैसे उनकी रोजमर्रा की समस्याओं का हल निकाल सकता है। पांगी घाटी के लोग आज एक बड़े संकट से गुजर रहे हैं। उनके पास कोई स्थानीय विधायक नहीं है, जिसके कारण उन्हें अपनी समस्याओं के समाधान के लिए 400 किलोमीटर दूर भरमौर का रुख करना पड़ता है। त्रिलोक ठाकुर का कहना है कि भरमौर क्षेत्र का विधायक कभी भी पांगी घाटी के ग्रामीण इलाकों तक नहीं पहुंचा।

अलग विधानसभा क्षेत्र की आवश्यकता

अलग विधानसभा क्षेत्र की मांग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पांगी घाटी की भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थिति बाकी क्षेत्रों से काफी अलग है। एक स्थानीय विधायक होने से यहां की समस्याओं पर तेजी से ध्यान दिया जा सकेगा और विकास के कामों को प्राथमिकता मिल सकेगी। त्रिलोक ठाकुर ने बताया कि अगर पांगी घाटी का अपना विधायक होगा तो वह साल भर घाटी में रहकर लोगों की समस्याओं को सुन सकेगा।

जनता का समर्थन

इस मुहिम को पांगी घाटी के लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। लोगों का मानना है कि अगर पांगी को अपना विधानसभा क्षेत्र मिल जाता है तो उनकी समस्याओं का समाधान बेहतर तरीके से हो सकेगा। स्थानीय विधायक ही उनके मुद्दों को सही ढंग से समझ सकता है और उनका हल निकाल सकता है।

पांगी घाटी की भौगोलिक चुनौतियां

पांगी घाटी की भौगोलिक स्थिति बेहद कठिन है। यह चारों तरफ से ऊँचे पहाड़ों से घिरी हुई है और यहाँ तक पहुंचना आसान नहीं है। सर्दियों में बर्फबारी के कारण यह क्षेत्र कई महीनों तक राज्य के बाकी हिस्सों से कटा रहता है। यहां की सड़कों की स्थिति भी खराब है, जिससे लोगों को आने-जाने में बहुत कठिनाई होती है। ऐसे में अलग विधानसभा क्षेत्र की मांग यहां के लोगों की जरूरत बन गई है। पांगी घाटी के लिए अलग विधानसभा क्षेत्र की मांग यहां के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। पांगवाल एकता मंच की इस नई मुहिम ने लोगों में एक नई उम्मीद जगाई है। अगर यह मांग पूरी होती है, तो न सिर्फ विकास के कामों में तेजी आएगी, बल्कि पांगी के लोगों की समस्याओं का समाधान भी स्थानीय स्तर पर हो सकेगा।

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