शिशु रोग वार्ड में 25 बिस्तरों पर 60 से 70 बच्चे उपचाराधीन मेडिकल कॉलेज चंबा के शिशु रोग वार्ड में बिस्तरों की कमी के कारण बीमार बच्चों और उनके अभि...
शिशु रोग वार्ड में कम पडे़ बिस्तर, एक बिस्तर पर दो-दो बच्चों का उपचार
शिशु रोग वार्ड में 25 बिस्तरों पर 60 से 70 बच्चे उपचाराधीन
मेडिकल कॉलेज चंबा के शिशु रोग वार्ड में बिस्तरों की कमी के कारण बीमार बच्चों और उनके अभिभावकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वार्ड में एक बिस्तर पर दो से तीन बच्चों का इलाज किया जा रहा है। इन बच्चों में से अधिकांश सर्दी-जुकाम, निमोनिया और खांसी जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य को लेकर अभिभावक चिंतित हैं। अभिभावकों में रेखा देवी, पिंकी देवी, आरती देवी, कौश्लया देवी, निशा देवी, पार्वती देवी, तृप्ता देवी ने बताया कि शिशु रोग वार्ड में 25 बिस्तरों पर 60 से 70 बच्चे उपचाराधीन हैं, जो बिस्तरों की कमी और बच्चों की बढ़ती संख्या के कारण गंभीर स्थिति में हैं। अभिभावकों के मुताबिक बिस्तर की कमी के कारण कई बच्चों के परिवार रात बिताने के लिए जमीन पर बिस्तर बिछाने को मजबूर हैं। इस स्थिति से उनकी रातें बेहद कष्टकारी हो रही है।
कम बीमार बच्चाें को स्वास्थ्य जांच के बाद भेजा जा रहा घर वापिस
उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से बीमार शिशुओं को दाखिल करने के लिए अलग से भी व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे बच्चों समेत उनके तीमारदारों को परेशानियों का सामना न करना पड़े। चंबा मेडिकल कॉलेज में रोजाना 800 से लेकर 1200 तक मरीजों का चेकअप होता है, जिनमें महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग और बच्चे शामिल हैं। बीमार बच्चों के आगे शिशु रोग वार्ड के बिस्तर कम हो रहे हैं। अधिक बीमार बच्चों को ही दाखिल किया जा रहा है। कम बीमार बच्चाें को स्वास्थ्य जांच के बाद घर वापिस भेज दिया जा रहा है। उनकी निगरानी भी की जा रही है।
HMPV वायरस का अलर्ट, गंभीर हो सकते हैं परिणाम
स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में चीन से आए एचएमपीवी (ह्यूमन मेटापनेमोवायरस) वायरस के प्रसार को लेकर अलर्ट जारी किया है। यह वायरस भी बच्चों में खांसी, जुकाम, और निमोनिया जैसी बीमारियों का कारण बन रहा है। विभाग इन मामलों की पूरी जानकारी एकत्र कर रहा है और चिकित्सकों द्वारा पांच दिनों के लिए दवाइयां देने के बाद निगरानी रखी जा रही है। मगर शिशु रोग वार्ड में एक बिस्तर पर दो से अधिक बच्चों का भर्ती करना गंभीर हो सकता है। इलाज करने से उनका स्वास्थ्य और बेहतर देखभाल प्रभावित हो सकता है।
एक बिस्तर पर कई बीमारों को उपचार देने के नुकसान
संक्रमण का फैलाव:
बिस्तरों की कमी और बच्चों के एक ही बिस्तर पर इलाज होने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है। जब अधिक संख्या में बच्चे एक साथ रहते हैं, तो उनकी बीमारियों का एक दूसरे में फैलने का जोखिम अधिक होता है। खासकर खांसी, जुकाम और निमोनिया जैसी बीमारियों के मामलों में।
स्वास्थ्य का बिगड़ना :
बच्चों के उपचार में ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत हो सकती है, जिससे उनकी सेहत और खराब हो सकती है। अधिक बच्चों का एक ही बिस्तर पर इलाज करने से उनकी देखभाल में कमी हो सकती है। शिशु रोग वार्ड में बिस्तरों की कमी के कारण बच्चों की चिकित्सकीय देखभाल और निगरानी में कमी हो सकती है। इससे उपचार की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।