देवीकोठी से चंबा तक 100 किमी लंबे सफर को कारदारों के साथ पैदल तय कर बैरेवाली भगवती अपनी बहन चामुंडा के पास पहुंचेंगी सदियों पुरानी परंपरा का निर्वह...
देवीकोठी से बैरेवाली भगवती अपनी बहन चामुंडा से मिलने हुई रवाना
देवीकोठी से चंबा तक 100 किमी लंबे सफर को कारदारों के साथ पैदल तय कर बैरेवाली भगवती अपनी बहन चामुंडा के पास पहुंचेंगी
सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए बैसाख माह की संक्रांति पर चुराह के देवीकोठी से बैरेवाली भगवती बहन चामुंडा से मिलने के लिए चंबा रवाना हुईं। देवीकोठी से चंबा तक 100 किलोमीटर लंबे सफर को कारदारों के साथ पैदल तय कर बैरेवाली भगवती अपनी बहन चामुंडा के पास पहुंचेंगी। 12 दिन तक बैरेवाली भगवती चंबा में बहन चामुंडा के पास रुकेंगी। इस दौरान श्रद्धालु बैरेवाली भगवती को अपने घर आने का न्योता देकर पूजा-अर्चना करेंगे। दो बहनों के मिलन के अंतिम दिन चामुंडा माता मंदिर परिसर में जातर मेले का आयोजन किया जाएगा।
बैसाख माह की पांच तारीख यानी 17 अप्रैल की शाम 6:00 बजे माता चंबा नगर में करेंगी प्रवेश
बैरेवाली भगवती के आगमन को लेकर चामुंडा माता मंदिर को फूलमालाओं और इलेक्ट्रॉनिक लाइटों से सजाया गया है। देवीकोठी से बैरेवाली भगवती हर वर्ष बसोओ की पिंदड़ी (स्थानीय व्यंजन) खाने के लिए चामुंडा माता के पास आती हैं। चामुंडा सेवा समिति के सदस्य देवीकोठी जाकर बैरेवाली भगवती को न्योता देते हैं। इस वर्ष भी न्योता मिलने पर बैसाख माह की संक्रांति को बैरेवाली भगवती चंबा के लिए रवाना हुई हैं। बैसाख माह की पांच तारीख यानी 17 अप्रैल की शाम 6:00 बजे माता चंबा नगर में प्रवेश करेंगी। दो बहनों के मिलन के अंतिम दिन जातर मेले में माता के गूर पूछ देंगे। इसके बाद बैरेवाली भगवती अपने मूल निवास स्थान देवीकोठी के लिए रवाना हो जाएंगी।
ये भी है मान्यता
मान्यता है कि बैरेवाली भगवती के बहन चामुंडा के पास आने पर तेज हवाओं के साथ बारिश होती है। दो बहनों के मिलन के समय इंद्रदेव भी हाजिरी भरते हैं। बैरेवाली माता मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित हरि सिंह शर्मा ने बताया कि ढोल-नगाड़ों और शहनाई की धुनों के बीच बैरेवाली माता अपने मूल स्थान देवीकोठी से चंबा के लिए रवाना हुई हैं।