इस दौर में अगर हम शिक्षा की बात करें तो मध्यम वर्ग के लिए बच्चों को पढ़ाना एक बड़ी चुनौती होती जा रही है। वहीं गरीब आदमी तो अपने बच्चों को शिक्षा भी द...
बनीखेत केंद्रीय विद्यालय में वार्षिक परिणाम के साथ बच्चों ने दान कीं किताबें
इस दौर में अगर हम शिक्षा की बात करें तो मध्यम वर्ग के लिए बच्चों को पढ़ाना एक बड़ी चुनौती होती जा रही है। वहीं गरीब आदमी तो अपने बच्चों को शिक्षा भी दिला पाने में सामर्थ्य नहीं रखते। ऐसे में सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें मुफ्त शिक्षा भी दिलाई जाती है। लेकिन केंद्रीय विद्यालय बनीखेत में पिछले कुछ वर्षों से स्कूल में वार्षिक परिणाम वाले दिन बच्चे पिछली कक्षा की किताबों को डोनेट करते हैं। किताबें दान करने में केंद्रीय विद्यालय बनीखेत के अध्यापकों की प्रेरणा का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। दान की गई पुरानी किताबें अध्यापकों द्वारा गरीब परिवार से सम्बंधित बच्चों को उपलब्ध करवाई जाती हैं ताकि वह अपनी पढ़ाई को सुचारु रख सकें। यहाँ पर बच्चों को किताब के महत्व का वास्तविक अर्थ समझाया जा रहा है। जिस प्रकार से वह अपनी पुरानी किताबों के माध्यम से दूसरे को शिक्षित कर सकते हैं।
बच्चों में बढ़ रहा है मुहिम के प्रति उत्साह
बनीखेत केंद्रीय विद्यालय में कोरोना काल से इस मुहिम को शुरू किया गया था। इस मुहिम के प्रति बच्चों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। जो बच्चे कक्षा आठ से पास करके कक्षा 9 में प्रवेश कर रहे हैं। अपने जूनियर के लिए पुस्तकों को दान करते हैं। वही जो उनके सीनियर होते हैं। वह उनके लिए दान करते हैं। ऐसे में जो भी बच्चे स्वैच्छिक पुस्तकों को लेना चाहते हैं। स्कूल प्रबंधन द्वारा उन सभी को पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं।
पुस्तके रद्दी नहीं जीवन का होती हैं आधार
स्कूल प्रशासन की मानें तो उनका कहना है कि देखा जाता है कि पास होने के बाद बच्चे पुस्तक को रद्दी में बेच देते हैं। जबकि विद्या बेचने के लिए नहीं होती। इसी भाव को उनमें जगाने के लिए इस मुहिम को शुरू किया गया है जिससे वह पुस्तक को रद्दी में बेचने के बजाय उनको दान करें। अन्य बच्चे से पढ़ सके। इससे दो फायदे होंगे बच्चों के माता पिता पर किताबों का भार नहीं पड़ेगा। वही कागज के लिए जिस तरीके से पेड़ों का कटान होता है। उस पर भी रोक लगेगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।