चुराह में मनरेगा श्रमिकों के खाते में आ रही 9-9 रुपये की दिहाड़ी

श्रमिकों का आरोप है कि मनरेगा एप में जो दिहाड़ी दर्शाई जाती है वह बैंक खाते में नहीं आती है चुराह उपमंडल में मनरेगा श्रमिकों के बैंक खाते में 9-9 र...

चुराह में मनरेगा श्रमिकों के खाते में आ रही 9-9 रुपये की दिहाड़ी

चुराह में मनरेगा श्रमिकों के खाते में आ रही 9-9 रुपये की दिहाड़ी

श्रमिकों का आरोप है कि मनरेगा एप में जो दिहाड़ी दर्शाई जाती है वह बैंक खाते में नहीं आती है

चुराह उपमंडल में मनरेगा श्रमिकों के बैंक खाते में 9-9 रुपये दिहाड़ी आ रही है। श्रमिकों ने कहा कि सरकार ने इस बजट में उनकी दिहाड़ी 250 से बढ़ाकर 300 रुपये कर दी है, लेकिन दिन भर काम करने के बाद भी उनके खाते में 9 रुपये दिहाड़ी आना समझ से परे है। दूसरी ओर, विभाग ने साफ किया है कि वर्क डन में श्रमिकों की प्रोग्रेस कम निकलने पर उनकी दिहाड़ी कम हो रही है। इसके लिए तकनीकी सहायक की ओर से कार्य और वहां काम कर रहे श्रमिकों की प्रगति का आकलन किया जाता है। इसके आधार पर ही दिहाड़ी बनती है। श्रमिकों का आरोप है कि मनरेगा एप में जो दिहाड़ी दर्शाई जाती है वह बैंक खाते में नहीं आती है। कम दिहाड़ी खातों में आ रही है। उन्होंने कहा कि कई बार तो यह हालात बन जाते हैं कि मजदूरों के खाते में 9-9 रुपये दिहाड़ी के हिसाब से भी पैसे आते है।

कामगारों का आरोप कि दिहाड़ी का आकलन डंगे की पैमाइश पर निर्भर रहता है  जबकि डंगे का मलबा, नींव निकालने और पत्थर की ढुलाई का आकलन उनकी प्रोग्रेस में क्यों नहीं 

चुराह की 55 पंचायतों तीसा प्रथम, तीसा द्वितीय, नेरा, पधर, सनवाल, झज्जाकोठी, देहग्रा, शलेलाबाडी, थनेईकोठी, कुठेड़ बधोडा़, हरतवास, सेईकोठी, मंगली, बौदेडी-जुनास- गुईला- सत्यास, शिरी, बैरागढ़, घुलेई, टेपा, देवीकोठी, गुवाडी़-खुशनगरी, पधर, भंजराड़ू, खजुआ, जुगरा, बिहाली नेरा, लेसुई, गंडफरी, भराडा़, टिकरीगढ़- देहरोग, चांजू-चरड़ा बगेईगढ़, देहरा, जसौरगढ़- दियोला, डौरी,थल्ली, चिल्ली, शतेवा के हजारों श्रमिक मनरेगा के तहत काम करते हैं। महिलाएं भी मनरेगा में दिहाड़ी लगाकर परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। जानकी देवी, देवकी, मालती देवी, नखरो देवी, सुनीता देवी, दिव्या देवी, आरती देवी, नीलम देवी, आशा कुमारी, लाल चंद, प्रमोद कुमार, नरेश कुमार, कपिल कुमार, लेखराज और लतीफ मोहम्मद ने आरोप लगाया कि उनकी दिहाड़ी का आकलन डंगे की पैमाइश पर निर्भर रहता है। डंगे का मलबा, नींव निकालने और पत्थर की ढुलाई का भी उनकी प्रोग्रेस में आकलन किया जाए। उसी हिसाब से दिहाड़ी निर्धारित की जाए न कि डंगे की आधार पर। विकास खंड अधिकारी निशी महाजन ने बताया कि चुराह क्षेत्र में मनरेगा श्रमिकों का वर्क डन के बाद उनकी प्रोग्रेस के आधार पर ही उनकी दिहाड़ी बनती है। बताया कि तकनीकी सहायक की ओर से कार्य पर लगने वाले श्रमिकों के कार्य को लेकर मेजरमेंट की जाती है। इसके तहत बनने वाली प्रोग्रेस के आधार पर ही उन्हें दिहाड़ी मिलती है।