गढ़ माता मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से गूगल मैप पर भी मिल चुका स्थान हिमाचल और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर स्थित गढ़ माता मंदिर अभी तक सड़क से नहीं जुड़...
वर्षों बाद भी सड़क से नहीं जुड़ पाया गढ़ माता मंदिर
गढ़ माता मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से गूगल मैप पर भी मिल चुका स्थान
हिमाचल और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर स्थित गढ़ माता मंदिर अभी तक सड़क से नहीं जुड़ पाया है। गढ़ माता मंदिर न सिर्फ हिमाचल, बल्कि जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों में भी प्रसिद्ध है। प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु विभिन्न राज्यों से माता के दरबार में हाजिरी भरने पहुंचते हैं। बावजूद इसके किसी भी पार्टी के जनप्रतिनिधि ने मंदिर तक सड़क पहुंचाने की पहल नहीं की। इसके चलते श्रद्धालुओं को मीलों का पैदल सफर करना पड़ रहा है। इस मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से गूगल मैप पर भी स्थान मिल चुका है। करीब 18 वर्ष पूर्व झौड़ा से गढ़ माता मंदिर के लिए सड़क का निर्माण शुरू हुआ था, जो करीब ढाई किलोमीटर दूर किनोट में थम गया। वर्षों बाद भी यह काम अधूरा पड़ा हुआ है।
दो दिवसीय जातर मेले में चंबा और जम्मू-कश्मीर के हजारों श्रद्धालु माता के दरबार में भरते हैं हाजिरी
गढ़ माता मंदिर हिमाचल और जम्मू-कश्मीर राज्य के लोगों की आस्था का केंद्र है। अश्विन माह की संक्रांति पर गढ़ माता मंदिर में दो दिवसीय जातर मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें जिला चंबा और जम्मू-कश्मीर के हजारों श्रद्धालु माता के दरबार में हाजिरी भरते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि झौड़ा-गढ़ माता मंदिर के लिए सड़क का निर्माण होने से दियोल, किनोट, अटालु, मदराणी, चिंगलाणु, शलदंर, कराउड़, चिहोट, भरेभूण और राजा का डेरा गांवों की आबादी भी लाभान्वित होगी। इसके साथ ही ग्रामीणों की अधवारी आने-जाने की राह भी आसान हो जाएगी। यूथ कमेटी के सचिव धर्मेंद्र सूर्या ने कहा कि अगर यहां सड़क सुविधा होती तो भलेई माता की तरह गढ़ माता में भी लाखों की संख्या में रोजाना श्रद्धालु पहुंचते। उन्होंने हिमाचल सरकार से मांग की है कि इस धार्मिक स्थल के लिए जल्द सड़क सुविधा मुहैया करवाने का प्रयास किया जाए।