सरकार द्वारा बागवानों के उत्थान के लिए बनाई गई बड़ी-बड़ी योजनाएं हुई फेल प्रदेश सरकार भले ही बागवानों के उत्थान के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं बना...
सलूणी के बागवानों ने बंदरों से तंग आकर काट दिए 20 साल पुराने सेब के पेड़
सरकार द्वारा बागवानों के उत्थान के लिए बनाई गई बड़ी-बड़ी योजनाएं हुई फेल
प्रदेश सरकार भले ही बागवानों के उत्थान के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं बना रही हो लेकिन विकास खंड सलूणी के बागवान बंदरों के आतंक से अपने 20 साल पुराने सेब के पेड़ों को काटने पर मजबूर हो रहे हैं। क्योंकि बागवान कड़ी मेहनत करके बगीचों में सेब की फसल तैयार करते हैं। बंदर उस फसल को बागवानों तक पहुंचने से पहले ही खराब कर देते हैं। इसकी वजह से बागवानों को उनकी मेहनत का फल नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि बागवानों ने अब सेब की फसल तैयार करने से तौबा कर दी है। वे अपने बगीचों में लगे 20 साल पुराने सेब के पेड़ों का कटान कर रहे हैं।
बंदरों के झुंड रात में भी बगीचों में मचाते उत्पात
विकास खंड सलूणी की ग्राम पंचायत सलूणी में गुठाण, मल्ला, दियोगा सहित अन्य गांव में पिछले कुछ सालों से बंदरों का आतंक काफी बढ़ गया है। बागवानों भाग सिंह, जोधा मल, नर सिंह, कमलेश कुमार, परस राम, प्रेम लाल और सतीश कुमार ने बताया कि जिस बगीचे से वे साल में एक से दो लाख रुपये की कमाई करते थे, आज वहां किसानों को अपनी मेहनत भी नहीं मिल पा रही है। इसका मुख्य कारण बंदरों का आतंक है। बगीचों में बंदरों के झुंड सेब की फसल को बर्बाद करके चले जाते हैं। यदि बागवान दिन में वहां पहरेदारी करते हैं तो रात के समय बंदरों के झुंड उत्पात मचाते हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए वे कई बार वन और उद्यान विभाग से गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनकी समस्या का कोई भी निदान नहीं किया गया। उद्यान विकास अधिकारी सलूणी डॉ. अनिल डोगरा ने बताया कि बागवानों को सेब के पेड़ों को काटने के बजाय अनुदान पर फेंसिंग करवानी चाहिए। इसे लगाने के बाद बंदर बगीचे में पहुंच पाते।