पवित्र मणिमहेश यात्रा में राधाष्टमी के बड़े शाही स्नान तक करीब छह लाख श्रद्धालु पवित्र डल में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। शिव चेलों के डल तोड़ने के स...
करीब छह लाख श्रद्धालुओं ने लगाई पवित्र डल झील में डुबकी, जानें क्या है इसके पीछे की मान्यता
पवित्र मणिमहेश यात्रा में राधाष्टमी के बड़े शाही स्नान तक करीब छह लाख श्रद्धालु पवित्र डल में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। शिव चेलों के डल तोड़ने के साथ ही श्रद्धालुओं ने पवित्र डल में डुबकी लगाने और पवित्र कैलाश के दर्शन कर वापसी करनी शुरू कर दी।
राधा अष्टमी के पावन पर्व पर त्रिलोचन महादेव के वंशज शिव चेलों ने डल झील की परिक्रमा कर उसे तोड़ने (पार करने) की परंपरा निभाई। इसके बाद मंगलवार रात 11 बजकर 13 मिनट से शाही स्नान का शुभ मुहूर्त शुरू हुआ। हालांकि, शिव चेलों के डल तोड़ने के साथ ही श्रद्धालुओं ने पवित्र डल में डुबकी लगाने और पवित्र कैलाश के दर्शन कर वापसी करनी शुरू कर दी। इस बार राधा अष्टमी के शाही स्नान का शुभ मुहूर्त मंगलवार रात 11 बजकर 13 मिनट पर शुरू हुआ। यह बुधवार रात 11 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। शाही स्नान के लिए करीब 60 हजार श्रद्धालुओं ने पवित्र डल, गौरीकुंड में डेरा जमाए रखा।
शाही स्नान का शुभ मुहूर्त शुरू होने से पहले डल झील पर चरपटनाथ चंबा की छड़ी, दशनामी अखाड़ा की छड़ी, संचूई के शिव चेले एक साथ डल झील में इकट्ठा होते हैं और झील की परिक्रमा कर डल तोड़ते हैं, जिसे देखने के लिए हजारों शिव भक्त उस पल के गवाह बनने के लिए इंतजार करते हैं। शिव चेलों के डल तोड़ने की परंपरा का निर्वहन होते ही पूरा मणिमहेश शिव के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। डल झील की परिक्रमा करने के बाद श्रद्धालु शिव चेलों को कंधों पर उठाकर झील से बाहर लाते हैं। इससे पूर्व त्रिलोचन महादेव के वंशज शिव चेले दो दिन पहले ही भरमौर स्थित चौरासी मंदिर परिसर में बैठ गए थे। यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को अपना आशीर्वाद दे रहे थे। सोमवार सुबह 11:00 बजे पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ यह शिव चेले मणिमहेश के लिए रवाना हुए थे। धन्छो में रात्रि ठहराव के बाद सुबह शिव चेले मणिमहेश के लिए निकल गए। मंगलवार दोपहर बाद डल झील की परिक्रमा कर राधा अष्टमी के शाही स्नान का शुभारंभ किया।
ये है मान्यता
मान्यता है कि दंपती के राधाष्टमी के दिन पवित्र डल में डुबकी लगाने से वह पुण्य और सुख-स्मृद्धि के भागी बनते हैं। राधाष्टमी का शुभ मुहूर्त शुरू होते ही पवित्र डल झील का पानी एकदम बढ़ना शुरू हो जाता है। यात्रा पर गए श्रद्धालु पवित्र डल झील का जल प्रसाद के तौर पर अपने साथ लेकर घर लौटते हैं। मणिमहेश यात्रा के दौरान राधाष्टमी पर्व के दौरान हर प्रकार के अनुष्ठान, मुंडन, वैवाहिक आयोजन व अन्य कार्यों का फल शुभ रहता है। पड़ोसी राज्य जम्मू के किश्तवाड़, भद्रवाह और डोडा से दंपती अपने छह माह से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चों को लेकर पवित्र मणिमहेश यात्रा पर पहुंचे।
छह लाख श्रद्धालुओं ने लगाई पवित्र डल झील में डुबकी
पवित्र मणिमहेश यात्रा में राधाष्टमी के बड़े शाही स्नान तक करीब छह लाख श्रद्धालु पवित्र डल में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। हालांकि, श्रद्धालुओं का सही आंकड़ा भरमौर प्रशासन के पास भी अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। इसकी मुख्य वजह श्रद्धालुओं की ओर से ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण न करवाना मुख्य वजह है। भरमौर के प्रशासनिक अधिकारी के मुताबिक जन्माष्टमी तक ही पवित्र डल में करीब डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। पीर पंजाल की पहाड़ियों के पूर्वी हिस्से में तहसील भरमौर में स्थित मणिमहेश तीर्थ स्थल में हर वर्ष जन्माष्टमी के उपलक्ष्य पर छोटा शाही स्नान और राधाष्टमी पर बड़ा शाही स्नान होता है। इसमें देश-विदेश समेत पड़ोसी राज्यों से सैकड़ों की संख्या में शिवभक्त पवित्र डल में डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं। उधर, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी भरमौर कुलवीर सिंह राणा ने बताया कि राधाष्टमी न्हौण तक करीब छह लाख श्रद्धालु पवित्र डल में डुबकी लगा चुके हैं।