मातृत्व अवकाश बीमारी या मनोरंजन की छुट्टी के लिए नहीं, बल्कि महिला ने अपनी प्राकृतिक जिम्मेदारी निभाने के लिए ली आवश्यक छुट्टी हिमाचल प्रदेश हाईकोर...
मातृत्व अवकाश के कारण उच्च वेतनमान से वंचित करना असांविधानिक, हाईकोर्ट ने रद्द किया सरकार का निर्णय
मातृत्व अवकाश बीमारी या मनोरंजन की छुट्टी के लिए नहीं, बल्कि महिला ने अपनी प्राकृतिक जिम्मेदारी निभाने के लिए ली आवश्यक छुट्टी
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि मातृत्व अवकाश के कारण किसी महिला कर्मचारी को उच्च वेतनमान से वंचित करना असांविधानिक और भेदभावपूर्ण है। हाईकोर्ट ने प्रतिवादी/सरकार की ओर से 1 जुलाई 2019 को लिए उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसके तहत याचिकाकर्ता को उच्च वेतनमान के लाभ से वंचित करने का निर्णय किया गया था। न्यायालय ने निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता को उच्च वेतन बैंड के सभी वास्तविक वित्तीय और अन्य सेवा लाभ छह फीसदी प्रति वर्ष की व्याज दर से 15 जुलाई, 2025 तक दिए जाएं। ये लाभ 12 मई 2019 से दिए जाएंगे। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि मातृत्व अवकाश बीमारी या मनोरंजन की छुट्टी के लिए नहीं है, बल्कि यह महिला की ओर से अपनी प्राकृतिक जिम्मेदारी निभाने के लिए ली गई आवश्यक छुट्टी है।
हाईकोर्ट खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि मातृत्व अवकाश को सेवा अवधि से बाहर नहीं किया जा सकता
मातृत्व अवकाश को सेवा अवधि से बाहर नहीं किया जा सकता है। महिला कर्मचारी को इस अवधि में भी सभी सेवा लाभों के लिए ड्यूटी पर माना जाएगा। खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी नियम यह नहीं कहता कि मातृत्व अवकाश पर रहने वाली महिला कर्मचारी को वेतन वृद्धि नहीं दी जाएगी। याचिकाकर्ता महिला एक क्लर्क हैं। दो साल की नियमित सेवा पूरी होने से पहले याचिकाकर्ता मातृत्व अवकाश पर चली गईं। इस वजह से सरकार ने याचिकाकर्ता को उच्च वेतनमान का लाभ देने से मना कर दिया। याचिकाकर्ता दो साल की नियमित सेवा पूरी होने पर उच्च वेतनमान की हकदार थीं। मातृत्व अवकाश की वजह से उच्च वेतनमान के वित्तीय लाभ से वंचित किए जाने के सरकार के फैसले को महिला कर्मचारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दे दी।