विश्व प्रसिद्ध मंदिर कार्तिकेय स्वामी के कल खुलेंगे कपाट

पुरानी परंपराओं के आधार पर शारदीय नवरात्रों की पूजा के बाद नवम्बर महीने में पांच माह की अवधि के लिए मंदिर के कपाट हो जाते हैं बंद  विश्व प्रसि...

विश्व प्रसिद्ध मंदिर कार्तिकेय स्वामी के कल खुलेंगे कपाट

विश्व प्रसिद्ध मंदिर कार्तिकेय स्वामी के कल खुलेंगे कपाट

पुरानी परंपराओं के आधार पर शारदीय नवरात्रों की पूजा के बाद नवम्बर महीने में पांच माह की अवधि के लिए मंदिर के कपाट हो जाते हैं बंद 

विश्व प्रसिद्ध कार्तिकेय स्वामी मंदिर कुगती के कपाट 13 अप्रैल को सुबह 10 बजे हवन-पूजा के बाद धार्मिक रीति-रिवाज के साथ खुलेंगे। इसके बाद श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं। मंदिर के पुजारियों किसो राम, मचला राम, सुंदर और दीपक ने बताया कि पुरानी परंपराओं के आधार पर शारदीय नवरात्रों की पूजा के बाद नवम्बर महीने में पांच माह की अवधि के लिए मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं। इन पांच महीनों में इस मंदिर में पूजा-पाठ नहीं होता न ही कोई धार्मिक आयोजन होता है। पुजारियों ने बताया कि यहां तक कि कोई यात्री मंदिर में दर्शन भी नहीं कर सकता। स्थानीय भाषा में इन पांच महीनों की अवधि को अंदरोल कहा जाता है। इसके तहत मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होती। अंदरोल की इस अवधि का उल्लंघन करने पर दैवीय प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी पुरानी मान्यता का पालन प्रत्येक भरमौर वासी सदियों से करते आए हैं। बाहरी क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं से भी ऐसी ही उम्मीद की जाती है।

कलश भरा हुआ मिले तो होती है अच्छी फसल

कपाट बंद करते समय जल से भरा हुआ एक कलश मंदिर के अंदर रखा जाता है, जिसे हर वर्ष कपाट खुलने के बाद सर्वप्रथम देखा जाता है। अगर पानी से भरा यह कलश पूरा भरा हुआ निकले तो उस वर्ष अच्छी फसल एवं सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। अगर कलश आधा हो या खाली हो चुका हो तो फसल कम होने की संभावना होती है। इसके अलावा बारिश कम होने या अन्य कई प्रकार की विपत्तियों का प्रतीक मानने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

रात को कुगती में ठहरने की होती है व्यवस्था

मंदिर के कपाट खुलने के बाद श्रद्धालु मंदिर परिसर में आ सकते हैं। इससे पहले रात को श्रद्धालुओं को कुगती में ही ठहरने की हिदायत दी जाती है। जहां ठहरने की व्यवस्था तो होती ही है। वहीं गांव में जगराते एवं खाने की व्यवस्था भी युवक मंडल एवं ग्रामीणों द्वारा की गई होती है। कपाट खुलने के समय उमड़ने वाले जन सैलाब के लिए भरमौर के स्वयं सेवक तिलक शर्मा द्वारा हर वर्ष विशाल भंडारे का आयोजन किया गया होता है। इस अवसर पर पांच हजार से अधिक श्रद्धालु अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं।

ऐसे पहुंचें मंदिर

जिला मुख्यालय चम्बा से बस के माध्यम से भरमौर तथा भरमौर से कुगती तक परिवहन निगम की बस या अपने निजी वाहनों द्वारा पहुंचा जा सकता है। कुगती गांव से पैदल यात्रा शुरू होती है जो लगभग चार किलोमीटर की लंबी यात्रा है। रास्ते में जल शक्ति विभाग द्वारा पानी के नलके आदि लगाकर पेयजल की व्यवस्था की होती है। लोक निर्माण विभाग ने मार्ग को सुगम बना दिया है।