मिंजर मेले के समापन पर शोभायात्रा में धीरे-धीरे खत्म होती दिख रही पुरानी परंपरा

मिंजर के समापन समारोह में मुख्यमंत्री शिमला से चंबा के लिए उड़ान नहीं भर पाए  मिंजर मेले का भले ही अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिल गया हो, लेकिन धीरे-...

मिंजर मेले के समापन पर शोभायात्रा में धीरे-धीरे खत्म होती दिख रही पुरानी परंपरा

मिंजर मेले के समापन पर शोभायात्रा में धीरे-धीरे खत्म होती दिख रही पुरानी परंपरा

मिंजर के समापन समारोह में मुख्यमंत्री शिमला से चंबा के लिए उड़ान नहीं भर पाए 

मिंजर मेले का भले ही अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिल गया हो, लेकिन धीरे-धीरे मिंजर मेले की पुरानी परंपरा को खत्म किया जा रहा है। मिंजर मेले के समापन पर जब शोभा यात्रा निकाली जाती थी तो मुख्यमंत्री उसमें मुख्यातिथि होते थे। यह राजमहल से लेकर मंजरी गार्डन जहां से मिंजर को रावी नदी में विसर्जित किया जाता है। वहां तक वह शोभा यात्रा के साथ पैदल ही चलते थे, लेकिन अब यह परंपरा भी खत्म होती हुई दिखाई दे रही है। रविवार को जब मिंजर के समापन समारोह में मुख्यमंत्री शिमला से चंबा के लिए उड़ान नहीं भर पाए तो सदर के विधायक को मिंजर की शोभायात्रा में मुख्यातिथि बनाया गया। 

सदर के विधायक ने समापन समारोह में पुरानी परंपरा को निभाने की बजाय जिप्सी में बैठकर शोभायात्रा में भाग लिया

वह पैदल चलने के बजाय जिप्सी में बैठकर शोभा यात्रा में शामिल हुए। इससे पहले जितने भी मुख्यमंत्री शोभायात्रा में बतौर मुख्यातिथि मौजूद हुए। उन्होंने हमेशा शोभायात्रा के साथ पैदल मंजरी गार्डन तक भाग लिया। एक बार पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जिप्सी पर बैठकर शोभायात्रा में शामिल हुए थे। तब वह पैदल इतना लंबा सफर तय करने की हालत में नहीं थे, लेकिन इस बार जब सदर के विधायक को समापन समारोह की अगुवाई करने का मौका मिला तो उन्होंने पुरानी परंपरा को निभाने की बजाय जिप्सी में बैठकर शोभायात्रा में भाग लिया। इससे कहीं न कहीं मिंजर को लेकर पुरानी परंपरा आहत हुई है। भले ही इसको लेकर लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया न दी हो, लेकिन लोगों में इसको लेकर काफी निराशा है।