राजकीय प्राथमिक पाठशाला मौड़ा में किराये के एक कमरे में 49 विद्यार्थियों की हो रही पढ़ाई

एक ही कमरे में पहली से पांचवीं कक्षा तक बच्चों की कक्षाएं, विद्यालय का कार्यालय और डे मील भी पकता है  भैंसों के तबेले में स्कूल चलने के मामले...

राजकीय प्राथमिक पाठशाला मौड़ा में किराये के एक कमरे में 49 विद्यार्थियों की हो रही पढ़ाई

राजकीय प्राथमिक पाठशाला मौड़ा में किराये के एक कमरे में 49 विद्यार्थियों की हो रही पढ़ाई

एक ही कमरे में पहली से पांचवीं कक्षा तक बच्चों की कक्षाएं, विद्यालय का कार्यालय और डे मील भी पकता है 

भैंसों के तबेले में स्कूल चलने के मामले के बीच राजकीय प्राथमिक पाठशाला मौड़ा का हाल सामने आया है। यहां किराये के कमरे में ही पहली से पांचवीं कक्षा तक बच्चों की कक्षाएं चल रही हैं, वहीं पर ही विद्यालय का कार्यालय होने के अलावा मिड-डे मील भी पकता है। ऐसे में विद्यालय में शिक्षारत 49 विद्यार्थियों की सुरक्षा पर सवाल उठता नजर आ रहा है। विद्यालय में यदि कोई अप्रिय घटना घटित होती है तो इसकी जिम्मेदारी आखिरकार किसकी रहेगी। वर्ष 2016 में खुले इस प्राथमिक स्कूल के लिए बीते कुछ वर्ष पहले नया भवन निर्मित करने के लिए 31 लाख रुपये के करीब बजट भी स्वीकृत हो चुका है। लेकिन, अभी तक नए विद्यालय भवन में कक्षाएं आरंभ तक नहीं हो पाई है। जिस वजह से एक ही हॉल में बच्चों की पढ़ाई, स्कूल का कार्यालय और बच्चों के लिए मिड डे मील पक रहा है। विधानसभा क्षेत्र डलहौजी के तहत आते राजकीय प्राथमिक स्कूल मौड़ा में वर्तमान समय में शिक्षा हासिल करने के ग्राम पंचायत मौड़ा के गांव मौड़ा, गुलन, सिधोगा, चखरा, खेल और कासणी से विद्यार्थी एक से दो किलोमीटर का पैदल सफर तय कर पढ़ने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन, विद्यालय के एकमात्र कमरे ही में ही पांच कक्षाएं चलाना, मिड डे मील बनाना, कार्यालय और स्टोर को संचालित करना स्कूल प्रबंधन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

तेज धूप और बारिश में होती है परेशानी

स्कूल प्रबंधन समिति प्रधान तिलक राज सहित अब्दुल फारुख, हनीफ मोहम्मद, तिलक और सुरेंद्र कुमार आदि ने बताया कि स्कूल के लिए अलग से भवन बनाने का कार्य आरंभ किया गया है। लेकिन अभी ये अधूरा पड़ा है। जिस वजह से बच्चों को एक ही कमरे में शिक्षा हासिल करनी पड़ती है। तेज धूप के दिनों में तो बच्चे खुले में कक्षाएं लगा लेते है। बारिश के दिनों में उनकी मुसीबतें काफी बढ़ जाती हैं।