नहीं मिला लोहे का रूट बोर्ड तो गत्ते से ही चला लिया काम

निगम की लाखों की कमाई होती है, मगर एक लोहे के बोर्ड की व्यवस्था नहीं HRTC बसों को रूट बोर्ड नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में चालक और परिचालक को गत्ते के र...

नहीं मिला लोहे का रूट बोर्ड तो गत्ते से ही चला लिया काम

नहीं मिला लोहे का रूट बोर्ड तो गत्ते से ही चला लिया काम

निगम की लाखों की कमाई होती है, मगर एक लोहे के बोर्ड की व्यवस्था नहीं

HRTC बसों को रूट बोर्ड नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में चालक और परिचालक को गत्ते के रूट बोर्ड लगाकर अपना काम चलाना पड़ रहा है। ऐसा ही मामला सिहुंता क्षेत्र में सामने आया। बस सिहुंता से चुवाड़ी रूट के लिए रवाना हुई थी। यह बस स्टेशनों पर रुकी तो लोगों ने बोर्ड देखकर हैरानी जताई। यह बोर्ड गत्ते का लगा हुआ था और उसमें चॉक से बस रूट लिखा था। लोगों में अमित कुमार, सुनील कुमार, राजेश कुमार, अमरेंद्र सिंह, धर्म सिंह, राकेश कुमार, अभय कुमार, करण सिंह का कहना है कि निगम की लाखों की कमाई होती है, मगर एक लोहे के बोर्ड की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। बताया कि निगम की बसों में लोहे की बोर्ड लगा रहता है। 

जिले में करीब डेढ़ सौ से अधिक रूटों पर निगम की ओर से बसें चलाई जा रही हैं, मगर कुछ रूटों पर लगाना पड़ रहा जुगाड़

इस बस में गत्ते के बोर्ड से चालक और परिचालक को जुगाड़ लगाकर काम चलाना पड़ा। गौरतलब है कि जिले में करीब डेढ़ सौ से अधिक रूटों पर निगम की ओर से बसें चलाई जा रही हैं, मगर कुछ रूटों पर जुगाड़ लगाना पड़ रहा है। लोगों ने मांग की है कि बसों को लोहे के बोर्ड लगाए जाएं। अड़्डा इंचार्ज जितेंद्र राणा का कहना है कि जो बस पहले भेजी गई थी, वह अन्य रूट पर चली गई थी। बोर्ड उसी बस में रह गया था। ऐसे में दूसरी बस में गत्ते का बोर्ड लगाकर काम चलाना पड़ा।