दिहाड़ी-मजदूरी, दुध-सब्जी बेचने वाले आम वर्ग यातायात भाड़े की वृद्धि से दुखी पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में बसों का न्यूनतम किराया दोगुना कर राज्य...
पहले बिजली-पानी, अब यातायात भाड़े से बढ़ाई सरकार ने जनता की परेशानी
दिहाड़ी-मजदूरी, दुध-सब्जी बेचने वाले आम वर्ग यातायात भाड़े की वृद्धि से दुखी
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में बसों का न्यूनतम किराया दोगुना कर राज्य की सुक्खू सरकार ने एक बार फिर से आम लोगों की जेब पर डाका डाला है। हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडया सह-प्रभारी एवं पूर्व मीडिया कोर्डिनेटर टू सीएम एडवोकेट विश्व चक्षु ने सरकार ने बिजली-पानी के संग यातायात में प्रदेश की जनता की परेशानी बढ़ा दी है। उन्होंने प्रदेश सरकार के इस कदम की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए उसे वापिस लिए जाने की बात रखी है। विश्व चक्षु ने कहा कि आज प्रदेश में आम वर्ग पहले से ही सुक्खू सरकार के अव्यवस्था व फैसलों से दुखी है। अब आम वर्ग को दिहाड़ी-मजदूरी, दुध-सब्जी बेचने वाला आम वर्ग है, वह अपने आस-पड़ोस में बसों से पहुंचने को मात्र दो से तीन किलोमीटर के भी पांच रुपए से सीधे 10 रुपए अदा करेगा, जिससे उसका मासिक बजट हिल जाएगा।
प्रदेश भाजपा मीडिया सह-प्रभारी विश्व चक्षु ने बसों के न्यूनतम किराए को दोगुना करने के सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की
चक्षु ने कहा कि अपने मंत्रियों-मित्रो के वेत्तन-भत्तो में तो कटौती करने की बजाय उन्हें लगातार बढ़ाया जा रहा है, जबकि प्रदेश के आम जनता को लगातार परेशान किया जा रहा है। भाजपा प्रदेश मीडिया सह-प्रभारी विश्व चक्षु ने बसों के न्यूनतम किराए को दोगुना करने के सरकार के फैसले की निंदा करते हुए इसे आमजन विरोधी कदम बताया है। उन्होंने कहा कि मध्य और गरीब परिवार के यात्रा का एकमात्र साधन ही सरकारी और निजी क्षेत्र की बसें हैं। उनके न्यूनतम किराए में दुगना की वृद्धि करने से हर परिवार पर हर महीनें कम से कम हजार रुपए से ज्यादा का बोझ आएगा। सरकार की नाकामियों की वजह से पहले ही आम आदमी का जीना मुश्किल हुआ है, ऐसे में सरकार का ये फैसला प्रदेश के गरीब और मध्यम वर्ग पर किसी आफत से कम नहीं है। सरकार को अपना फैसला वापिस लेना चाहिए। यह फैसला हिमाचल के आम गरीब व्यक्ति के खिलाफ है। विश्व चक्षु ने कहा कि सरकार प्रदेश में विकास के सारे काम बंद कर चुकी है, रोजगार के सारे रास्ते छीन रही है, और महंगाई बढ़ाकर लोगों का जीना मुश्किल कर रही है।