माता के जन्म के साथ पूरे ब्रहम्हांड को ध्वनि का उपहार मिला आज बसंत पंचमी है। यह त्योहार हर साल माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता ह...
आज ही के दिन मां सरस्वती का हुआ था जन्म
माता के जन्म के साथ पूरे ब्रहम्हांड को ध्वनि का उपहार मिला
आज बसंत पंचमी है। यह त्योहार हर साल माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। माता का इस दिन जन्म हुआ था। माता के जन्म के साथ पूरे ब्रहम्हांड को ध्वनि का उपहार मिला था। मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, वीणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजित होकर प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विषेश पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन विशेषकर पीले वस्त्र धारण करने का भी धार्मिक महत्व है। साथ ही बसंत पंचमी से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। जो भी भक्तजन बसंत पंचमी का व्रत करने वाले हैं उनके साथ-साथ सभी को मां की शुभ-मुहूर्त और सही विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इससे माता प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ऐसे में आइए जाने हैं पूजा विधि सहित शुभ-मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्त
14 फरवरी को बसंत पंचमी वाले दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 1 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
क्या रहेगी पूजा विधि
1. वसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान कर पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें और सरस्वती पूजा का संकल्प लें।
2. पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं।
3. इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें
आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं।
आखिर में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें। आखिर में माता की आरती उतारे।