जुकारू उत्सव में लाहौल के तिंदी से आई रथयात्रा का ढोल-नगाड़ों से स्वागत

इस दिन हर घर का मुखिया सुबह स्नान के बाद कुलदेवता के लिए ट्रायंगल त्रिकोणी एक आटे की आकृति तैयार कर कुलदेवता को भोग के रूप में अर्पित करता है ...

जुकारू उत्सव में लाहौल के तिंदी से आई रथयात्रा का ढोल-नगाड़ों से स्वागत

जुकारू उत्सव में लाहौल के तिंदी से आई रथयात्रा का ढोल-नगाड़ों से स्वागत

इस दिन हर घर का मुखिया सुबह स्नान के बाद कुलदेवता के लिए ट्रायंगल त्रिकोणी एक आटे की आकृति तैयार कर कुलदेवता को भोग के रूप में अर्पित करता है 

जनजातीय क्षेत्र पांगी में जुकारू उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। 12 दिवसीय उत्सव के आठवें दिन शनिवार को शौर पंचायत में कुल देवता बमुवा नाग के नाम पर अठालू मेला मनाया गया। मान्यता है कि इस दिन हर घर का मुखिया सुबह स्नान के बाद कुलदेवता के लिए ट्रायंगल त्रिकोणी एक आटे की आकृति तैयार करता है। इसे स्थानीय भाषा में वीर कहा जाता है। इसे कुलदेवता को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। इसके बाद कुल देवता के कारीदार के साथ पूरा प्रजामंडल गांव के पुजारी के घर की छत पर अठालू मेले का आयोजन करता है। मेले की खास बात यह है कि करीब 17 किलोमीटर दूर से लाहौल-स्पीति के तिंदी गांव से रथ यात्रा लेकर वहां के कारीदार शौर गांव पहुंचते हैं। इनका ढोल-नगाढ़ों के साथ कुल देवता के पहड़वा से स्वागत किया जाता है।

पांगी घाटी में रथयात्रा 5 दिन तक रहेगी

लाहौल-स्पीति के तिंदी गांव से आई रथयात्रा का भव्य स्वागत स्थानीय लोग करते हैं। पुजारी के घर की छत पर इस मेले का आयोजन किया जाता है। रथयात्रा 5 दिन तक पांगी घाटी में ही रहेगी। विभिन्न गांव में होने वाले मेलों में हिस्सा लेगी। रथ यात्रा में आए मुख्य पुजारी समेत कई कारीदार 5 दिन तक शौर, पुर्थी, थांदल और रेई गांव में होने वाले मेलों में हिस्सा लेंगे। बमुआ नाग देवता के मुख्य पुजारी देवराज शर्मा ने बताया कि पांगी के जुकारू उत्सव के आठवें दिन शौर गांव में आठलू मेले के रूप में मनाया जाता है। पंचायत प्रधान दमियंती भारद्वाज ने गांववासियों को मेलों की शुभकामनाएं दी हैं।