चंबा की करवाल पंचायत में खस्ताहाल जर्जर हालत मकान,खंडहर हो चुके भवनों में कट रहीं चार परिवारों की रातें

पहले आपदा से आशियाने खंडहर बन गए, अब कोई फरियाद सुनने के लिए तैयार नहीं है। एक महीने बाद भी खंडहर हो चुके भवनों में ही रातें काटनी पड़ रही हैं। ऐसे...

चंबा की करवाल पंचायत में खस्ताहाल जर्जर हालत मकान,खंडहर हो चुके भवनों में कट रहीं चार परिवारों की रातें

चंबा की करवाल पंचायत में खस्ताहाल जर्जर हालत मकान,खंडहर हो चुके भवनों में कट रहीं चार परिवारों की रातें

पहले आपदा से आशियाने खंडहर बन गए, अब कोई फरियाद सुनने के लिए तैयार नहीं है। एक महीने बाद भी खंडहर हो चुके भवनों में ही रातें काटनी पड़ रही हैं।

ऐसे में लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि जब लाभ ही नहीं मिलना है तो गरीबों के लिए चलाई जा रहीं सरकार की योजनाओं का क्या फायदा।
जिला चंबा के उपमंडल सलूणी की करवाल पंचायत के पांच परिवार डर के साये में जाग-जागकर रातें गुजार रहे हैं। बीते माह आई प्राकृतिक आपदा में उनके कच्चे मकानों में दरारें आ गई हैं। इससे ये मकान रहने लायक नहीं रहे हैं। प्रभावितों का कहना है कि वे सभी बीपीएल परिवारों से संबंध रखते हैं। मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत लाभान्वित करवाने के लिए उन्होंने कई बार पंचायत प्रतिनिधियों से भी मांग उठाई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। हर बार बजट न होने का तर्क देकर उनकी फरियाद को दरकिनार कर दिया गया। इस कारण अब इसी हाल में रहने पर विवश हैं। उन्होंने कहा कि राजनेताओं को भी चुनाव के समय में ही उनकी याद आती है। चुनाव जीतने के बाद कोई सुध नहीं लेता है।

पंचायत प्रधान करवाल सुरेंद्र कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रभावितों के नाम स्वीकृति को भेजे गए हैं। स्वीकृति मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। उपमंडलाधिकारी नागरिक नवीन कुमार ने बताया कि उनके ध्यान में मामला नहीं है। यदि ऐसी बात है तो ग्रामीण उनसे आकर मिलें। इसके बाद ही समस्या के समाधान के लिए सकारात्मक प्रयास किए जा सकते हैं।

कंडोलू निवासी मीर चंद पुत्र अच्छरू राम ने बताया कि उनका कच्चा मकान गिरने के कगार पर है। बारिश होने पर अपनी और बच्चों की चिंता सताती है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनका आवेदन करने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों से मांग उठाई, लेकिन अभी तक उनका नंबर नहीं आ पाया है।


प्रेमी पत्नी नाथु राम निवासी कंडोलू ने बताया कि पति की मौत के बाद बच्चों के साथ कच्चे मकान में रह रही हैं। गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। मकान के लिए 2015 से अब तक उनका नंबर तक नहीं आया है। कोई बड़ी दुर्घटना होने से पहले उन्हें आवास योजना के तहत लाभान्वित करने की मांग उठाई है।


जगदीश चंद पुत्र भीमा ने बताया कि भारी बारिश से कच्चे मकान को भारी नुकसान पहुंचा है। मकान में दरारें आ गई है। बीते दिनों गोशाला की कड़ी टूटने से उनकी दो बकरियां भी मलबे में दबकर मर चुकी हैं। आवास योजना के नाम पर हर बार बजट न होने का तर्क देकर चुप करवा दिया जाता है।

दुनी चंद पुत्र अच्छरू ने बताया कि परिवार के साथ बारिश के दिनों में वे रात भर जागते रहते हैं, जिससे किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने पर भागकर जान बच सकें। शासन और प्रशासन ने भी अब तक कोई सुध नहीं ली है। इससे अब उन्हें राजनेताओं से लेकर शासन-प्रशासन के प्रति काफी रोष है।

पूर्व विधायक आशा कुमारी ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं हैं। न ही प्रभावितों ने उन्हें इस बारे में बताया है। यदि ऐसी बात है तो वे मांगों को लेकर उनसे मिलें। समस्या के समाधान के लिए यथासंभव प्रयास किए जाएंगे।

डलहौजी के विधायक डीएस ठाकुर ने बताया कि मामला उनके ध्यान में लाया गया है। प्रभावितों को उनके हक दिलवाने के लिए कहां कमी रह रही है, इसका पता लगाकर उचित कदम उठाए जाएंगे।

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