बालबाड़ी टीचर पहले ही भेज दिए थे दूसरे विभागों में, रिकॉर्ड-संपत्तियां महिला एवं बाल विकास, ईएसओएमएसए डायरेक्टरेट को होंगी ट्रांसफर केंद्र सरकार की...
केंद्र की अनदेखी के बाद सोशल वेलफेयर बोर्ड बंद, सेंटर से अनुदान बंद होने के बाद लेना पड़ा फैसला
बालबाड़ी टीचर पहले ही भेज दिए थे दूसरे विभागों में, रिकॉर्ड-संपत्तियां महिला एवं बाल विकास, ईएसओएमएसए डायरेक्टरेट को होंगी ट्रांसफर
केंद्र सरकार की बेरुखी और लापरवाही के बाद हिमाचल सरकार ने राज्य के सोशल वेलफेयर बोर्ड को बंद करने का फैसला लिया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की सचिव एम सुधा देवी की ओर से इस बारे में अधिसूचना जारी हो गई है। इसी अधिसूचना में यह व्यवस्था भी की गई है कि बोर्ड को बंद करने के बाद कर्मचारी और बाकी संपत्तियों का क्या होगा? राज्य सरकार को यह फैसला इसलिए भी लेना पड़ा, क्योंकि केंद्र सरकार से इसके लिए मिलने वाला अनुदान पिछले साल ही बंद हो गया था। जारी अधिसूचना के मुताबिक सोशल वेलफेयर बोर्ड के तहत चल रहा ओल्ड ऐज होम बसंतपुर अब एम्पावरमेंट ऑफ एससी, ओबीसी, माइनोरिटीज़ एंड दि स्पेशियली एबल्ड यानी ईएसओएमएसए निदेशालय को सभी तरह की संपत्ति और जिम्मेदारियों के साथ ट्रांसफर कर दिया गया है।
दोनों महकमे ही वहन करेंगे कल्याण बोर्ड की देनदारी
इस आयोग में तैनात बालबाड़ी टीचर्स को इससे पहले महिला एवं बाल विकास विभाग और ईएसओएमएसए में डेपुटेशन पर भेज दिया गया था। यह स्टाफ अब वहीं रहेगा। जो कर्मचारी वर्तमान में सोशल वेलफेयर बोर्ड में थे और जिन्हें इन दो विभागों में भेजा गया था, वे वही रहेंगे। हालांकि उनके लिए नियुक्ति नियम और शर्तें वही रहेगी, जो स्टेट सोशल वेलफेयर बोर्ड में नियुक्ति के वक्त थी। सोशल वेलफेयर बोर्ड के सेक्रेटरी को यह निर्देश दिए गए हैं कि जहां भी बोर्ड के कार्यालय किराए पर चलते हैं, वहां सचिव मकान मालिक को स्पेस खाली करने का नोटिस देंगे। इस बारे में सारा रिकॉर्ड और संपत्तियां महिला एवं बाल विकास तथा ईएसओएमएसए निदेशालयों को ट्रांसफर होंगी। यदि सोशल वेलफेयर बोर्ड की भविष्य में कोई देनदारी क्रिएट होगी, तो यही दो विभाग उसको वहन करेंगे।
सोशल वेलफेयर बोर्ड की पिछले साल से ग्रांट बंद
हिमाचल में कई साल सोशल वेलफेयर बोर्ड चलता रहा और इन्हें परिवार नियोजन से लेकर सेंट्रल बोर्ड द्वारा चलाए जा रहे अभियानों का जिम्मा दिया जाता रहा। पूर्व की सरकारें इस बोर्ड में अध्यक्ष और या वाइस चेयरमैन की नियुक्ति भी करती थी, लेकिन पिछले साल से सेंटर से मिलने वाली ग्रांट बंद हो गई थी। इसीलिए स्टाफ को मजबूरी में इधर-उधर करना पड़ा था। अब राज्य सरकार ने कैबिनेट में हुए फैसले के बाद सोशल वेलफेयर बोर्ड को बंद कर दिया है।