तेलका स्कूल में बिना गुरु टूट रहा विद्यार्थियों का टॉप टेन में आने का सपना

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तेलका में जमा एक व दो में कला और वाणिज्य संकाय में 12 में से 8 पद खाली हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड धर्मशाला की टॉप टे...

तेलका स्कूल में बिना गुरु टूट रहा विद्यार्थियों का टॉप टेन में आने का सपना

तेलका स्कूल में बिना गुरु टूट रहा विद्यार्थियों का टॉप टेन में आने का सपना

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तेलका में जमा एक व दो में कला और वाणिज्य संकाय में 12 में से 8 पद खाली

हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड धर्मशाला की टॉप टेन की सूची में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तेलका के विद्यार्थियों के न आने के पीछे मुख्य वजह शिक्षकों के पद रिक्त होना ही माना जा रहा है। आलम ये है कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तेलका में कला और वाणिज्य संकाय के लिए स्वीकृत 12 प्रवक्ताओं के पदों में से वर्तमान में चार पद ही भरे हुए हैं। प्रवक्ताओं के पदों को भरने को लेकर बाकायदा स्कूल प्रबंधन समिति और अभिभावक वर्ग अपने स्तर पर कई बार शिक्षा विभाग को प्रस्ताव बनाकर स्वीकृति के लिए भेज चुके हैं बावजूद इसके अभी तक रिक्त पदों पर तैनाती करवाने में दोनों सरकारें विफल साबित हुई हैं। प्रवक्ताओं के पद रिक्त होने के बावजूद मजबूरन निर्धन परिवारों से ताल्लुक रखने वाले विद्यार्थी चाहकर भी अन्य विद्यालयों का रुख नहीं कर पा रहे हैं।

तेलका विद्यालय में वर्तमान समय में जमा एक और दो कक्षा में 165 विद्यार्थी, वहीं  छठी से लेकर जमा दो तक कुल 418 विद्यार्थी शिक्षारत

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तेलका में वर्तमान समय में अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, हिंदी, कॉमर्स, फिजिक्स, बायोलॉजी, हिसाब और आईटी प्रवक्ताओं के पद रिक्त पड़े हुए हैं। जबकि, विद्यालय में अर्थशास्त्र, कॉमर्स अकांटस, केमिस्ट्री, इतिहास विषयों के ही पद भरे हुए हैं। विद्यालय में वर्तमान समय में जमा एक और दो कक्षा में 165 विद्यार्थी जबकि, छठी से लेकर जमा दो तक कुल 418 विद्यार्थी शिक्षारत हैं जो आसपास की आधा दर्जन पंचायतों से मीलों का पैदल सफर तय कर विद्यालय पहुंचते हैं। अभिभावकों में राकेश कुमार, मनोज कुमार, सुरिंद्र कुमार, जोगिंद्र सिंह, कमलेश कुमार, रमेश कुमार, गणेश सिंह, रमेश कुमार, सुनील कुमार, पवन कुमार, सपना देवी, आरती देवी, कौशल्या देवी, उर्मिला देवी, रेखा देवी आदि ने बताया कि एक तरफ तो सरकारें शिक्षा स्तर को बढ़ाने के बड़े-बड़े दावे करती है लेकिन, दूसरी ओर विद्यालय में रिक्त पदों को भरने की जहमत नहीं उठाई जा रही है। विद्यालय में रिक्त पदों की वजह से विद्यार्थी सही तरीके से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं और न ही आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आगे बढ़ पाते हैं।