पीएचसी सालवां में छह दिन बैठेगा डॉक्टर, चमारू राम का संघर्ष रंग लाया

बाइक हादसे में दोहते को खोने वाले चमारू राम का संघर्ष लाया रंग। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सालवां में छह दिन डेपुटेशन पर चिकित्सक की तैनाती होगी ...

पीएचसी सालवां में छह दिन बैठेगा डॉक्टर, चमारू राम का संघर्ष रंग लाया

पीएचसी सालवां में छह दिन बैठेगा डॉक्टर, चमारू राम का संघर्ष रंग लाया

बाइक हादसे में दोहते को खोने वाले चमारू राम का संघर्ष लाया रंग। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सालवां में छह दिन डेपुटेशन पर चिकित्सक की तैनाती होगी 

प्रशासन ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सालवां में छह दिन डेपुटेशन पर चिकित्सक की तैनाती के लिए लिखित आदेश जारी कर दिए हैं। बाड़का पंचायत के गांव भैडोई निवासी 50 वर्षीय चमारू राम चिकित्सक की तैनाती की मांग को लेकर बीते शुक्रवार को भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। शनिवार को पंचायत समिति अध्यक्ष कंगना सेठी और पंचायत प्रतिनिधि भी साथ देने के लिए पहुंच गए। इसके बाद प्रशासन से कार्यवाहक तहसीलदार विनोद ठाकुर, बीएमओ डॉ. सचिन शर्मा, डॉ. जगजीत पठानिया और ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष पवन ठाकुर ने चमारू राम से मुलाकात कर उनकी मांग के बारे में जाना। इसके बाद सरकार से बात करने के बाद पीएचसी सालवां में छह दिन के लिए डेपुटेशन पर चिकित्सक तैनात करने का लिखित आदेश जारी कर दिए। इसके बाद चमारू राम को जूस पिलाकर उनका अनशन तुड़वाया। बीते शुक्रवार से भूख हड़ताल पर बैठे चामरू राम को शनिवार को पंचायत समिति अध्यक्ष सलूणी समेत मोड़ा पंचायत प्रधान अशोक सूर्यांश, सालवां पंचायत प्रधान वंदना ठाकुर, बाड़का पंचायत प्रधान प्रहलाद देवल का भी साथ मिला।

तेलका (सालवां) क्षेत्र की 15 पंचायतों की करीब 18 हजार की आबादी को मिली राहत 

गौरतलब है कि सालवां पीएचसी फार्मासिस्ट के सहारे है। यहां तैनात एकमात्र चिकित्सक का छह माह पहले तबादला हो गया है। इसके बाद पद रिक्त है। पीएचसी में एक फार्मासिस्ट, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और आशा वर्कर तैनात हैं। चिकित्सक न होने से क्षेत्र की 15 पंचायतों की करीब 18 हजार की आबादी को 40 से 60 किलोमीटर दूर सलूणी या चंबा मेडिकल कॉलेज जाना पड़ता है। इस पीएचसी पर सालवां, मौड़ा, भजोत्रा, लिग्गा, सेरी, गुआलू, नड्डल, दरेकड़ी, बाड़का, करवाल और सिउला पंचायतों के लोग निर्भर हैं।

चमारू राम के दोहते की समय पर उपचार न मिलने से हुई मौत

चमारू राम ने बाइक हादसे में घायल दोहते को समय पर उपचार न मिलने से उसे खो दिया था। उनका कहना है कि पीएचसी सालवां में चिकित्सक होता तो उनके दोहते की जान बच सकती थी। ऐसे में किसी और के साथ ऐसी कोई घटना न हो, इसके लिए उन्होंने भूख हड़ताल करने का निर्णय लिया और बीते शुक्रवार से आंदोलन शुरू कर दिया था। नायब तहसीलदार तेलका को उन्होंने इस बारे में पहले ही सूचित कर दिया था।