बिजली की दरों में बढ़ोतरी का फैसला मार्च के अंतिम दिन किया जाना है, लेकिन इसके लिए अभी से कसरत शुरू हिमाचल प्रदेश में अप्रैल के बाद घरेलू बिजली की...
अप्रैल से घरेलू बिजली 15 फीसदी तक महंगी हो सकती है
बिजली की दरों में बढ़ोतरी का फैसला मार्च के अंतिम दिन किया जाना है, लेकिन इसके लिए अभी से कसरत शुरू
हिमाचल प्रदेश में अप्रैल के बाद घरेलू बिजली की दरों में 10 से 15 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। राज्य बिजली बोर्ड की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार कर याचिका के माध्यम से विद्युत नियामक आयोग में दायर कर दिया गया है। बढ़ाेतरी अगले वित्त वर्ष में प्रस्तावित की गई है, जो एक अप्रैल से शुरू होने वाला है। विद्युत नियामक आयोग इस पर आने वाले दिनों में सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना निर्णय सुनाएगा। हालांकि दरों में बढ़ोतरी का फैसला मार्च के अंतिम दिन किया जाना है, लेकिन इसके लिए अभी से कसरत शुरू हो गई है। प्रदेश में बिजली बोर्ड के संचालन और राज्य के उपभोक्ताओं को बिजली की दरों के बढ़ाने से ज्यादा प्रभाव न पड़े, इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए बिजली बोर्ड की ओर से आगामी वित्तीय वर्ष के लिए नई बिजली दरों की घोषणा की जाएगी।
राज्य सरकार द्वारा घरेलू उपभोक्ताओं और बीपीएल उपभोक्ताओं को महंगी बिजली से दूर रखने के लिए अनुदान राशि दी जाती है
अमूमन हर साल 31 मार्च को राज्य विद्युत नियामक आयोग की ओर से बिजली की नई दरों की घोषणा की जाती है। इन नई दरों के हिसाब से ही अगले वित्त वर्ष बिजली की दरें घरेलू से लेकर सभी उपभोक्ताओं से वसूली जाती हैं। प्रदेश में बिजली की दरों में जो भी बढ़ोतरी की जाती है, उससे घरेलू उपभोक्ताओं और बीपीएल उपभोक्ताओं को दूर रखने के लिए अनुदान राशि दी जाती है, जो राज्य सरकार ही देती है। इस बार भी अगर अनुदान की राशि दी जाती है तो ये उपभोक्ता बिजली दरों की बढ़ोतरी से दूर रखे जाएंगे। यदि अनुदान राशि में कोई कमी की जाती है तो प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोतरी तय है। नियमों के तहत राज्य बिजली बोर्ड की ओर से दायर याचिका पर 120 दिन के भीतर नियामक आयोग की ओर से बिजली की नई दरों पर फैसला सुनाया जाता है।
यह होता है दरें बढ़ाने का आधार
राज्य बिजली बोर्ड की ओर से पूरे साल का खर्च व आय का आकलन करते हुए अगले साल कितनी आय की जरूरत है। इस आधार पर याचिका तैयार की जाती है, जिसे विद्युत नियामक आयोग में दायर किया जाता है। इस पर सुनवाई के बाद ही बिजली दरों में बढ़ोतरी करने या न करने का फैसला सुनाया जाता है।