ग्रामीणों की गढ़ माता मंदिर को सडक़ सुविधा से जोडक़र क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की मांग, मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से गूगल मैप पर भी स्थ...
जम्मू कश्मीर व चंबा की सीमा पर स्थित गढ़ माता मंदिर आज भी सडक़ से महरूम
ग्रामीणों की गढ़ माता मंदिर को सडक़ सुविधा से जोडक़र क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की मांग, मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से गूगल मैप पर भी स्थान मिल चुका है
जम्मू कश्मीर व चंबा की सीमा पर स्थित गढ़ माता मंदिर को सडक़ सुविधा से जोडऩे की कवायद बीच अधर में लटक गई है। इसके चलते श्रद्धालुओं के अलावा बीच राह में पडऩे वाले गांवों के लोगों को मीलों का पैदल सफर कर मंदिर तक पहुंचना पड़ रहा है। ग्रामीणों की गढ़ माता मंदिर को सडक़ सुविधा से जोडक़र क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की मांग पर कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। इस मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से गूगल मैप पर भी स्थान मिल चुका है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2006 में तत्कालीन सरकार ने झौड़ा से गढ़ माता मंदिर के लिए सडक़ का निर्माण कार्य आरंभ करवाया था, जोकि लगभग 2.5 किलोमीटर दूर किनोट नामक स्थान पर जाकर रुक गया। अठारह वर्ष बीत जाने के बाद भी सडक़ का निर्माण कार्य बंद पड़ा हुआ है।
झौड़ा से शुरू हुई सडक़ निर्माण की कवायद आज तक अधूरी, माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को मीलों पैदल सफर करना पड़ता है
गढ़ माता मंदिर जम्मू-कश्मीर व हिमाचल के लोगों की आस्था का केंद्र है। अश्विन माह की सक्रांति को मंदिर में दो दिवसीय जातर मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें जिला चंबा व जम्मू कश्मीर के हजारों की तादाद में श्रद्धालु माता का आशीर्वाद करने पहुंचते हैं। ग्रामीणों की मानें तो गढ़ माता मंदिर के लिए सडक़ का निर्माण होने से बीच राह में पडऩे वाले दियोल, किनोट, अटालु, मदराणी, चिंगलाणु, शलदंर, कराउड, चिहोट, भरेभूण व राजा का डेरा आदि गांव के अलावा अधवारी जाने वाले लोगों को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में सडक़ न होने से इन गांवों के लोगों को रोजमर्रा का सामाना पीठ पर लादकर घर पहुंचना पड़ रहा है। ग्रामीणों की मानें तो सडक़ निर्माण से जहां मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं की आवाजाही सुगम होगी वहीं इलाके में पर्यटन कारोबार को भी पंख लगेगें। उन्होंने सरकार व प्रशासन से जल्द गढ़ माता मंदिर के लिए सडक़ निर्माण को युद्धस्तर पर आरंभ करने की मांग उठाई है।