बीस सालों से इस आवास में एक दिन भी कोई अध्यापक नहीं ठहरा विकास खंड सलूणी में अध्यापकों के लिए बनाया गया गुरुकुल आवास अब कबूतरों और बंदरों का डेरा ब...
सलूणी में गुरुओं का बसेरा अब कबूतरों और बंदरों का बन गया डेरा
बीस सालों से इस आवास में एक दिन भी कोई अध्यापक नहीं ठहरा
विकास खंड सलूणी में अध्यापकों के लिए बनाया गया गुरुकुल आवास अब कबूतरों और बंदरों का डेरा बन गया है। सरकार ने 20 साल पहले 25 लाख रुपये की राशि खर्च कर इस गुरुकुल आवास का निर्माण करवाया था। इसे बनाने का उद्देश्य सलूणी में बच्चों को पढ़ाने वाले दूरदराज के शिक्षकों को आवास की सुविधा उपलब्ध करवाना था, जिससे उन्हें निजी क्वार्टर लेकर रहना न पड़े। बीस सालों से इस आवास में एक दिन भी कोई अध्यापक नहीं ठहरा। मौजूदा समय में भवन की हालत भी दयनीय हो चुकी है। इसमें अब कबूतर और बंदर मौज कर रहे हैं।
अध्यापक भवन में धूप नहीं आने का हवाला देकर यहां रहने से इनकार कर देते हैं
अध्यापकों ने इस बात का तर्क देकर यहां रहने से इनकार कर दिया कि जहां यह भवन बनाया गया है, वह स्थान सही नहीं है। यहां धूप भी नहीं आती है। ऐसे में वे यहां नहीं रह सकते। अध्यापक सरकारी आवास में रहने के बजाय पैसे देकर निजी क्वार्टर में रह रहे हैं। ऐसे में इस भवन के निर्माण पर कहीं न कहीं सरकारी पैसे का दुरुपयोग होने की बात सामने आती है। राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सलूणी के प्रधानाचार्य प्रवीन कुमार धीमान ने बताया कि अध्यापक भवन में धूप नहीं आने का हवाला देकर यहां रहने से इनकार कर देते हैं। यही वजह है कि यहां पर आज तक कोई भी अध्यापक रहने को तैयार नहीं हुआ। इस बारे में विभाग के उच्चाधिकारी को अवगत करवाया जा चुका है।