मां को प्रतिमाह दो हजार रुपए देने के लिए हाई कोर्ट ने बेटे को दिए आदेश हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण व्यवस्था दी है कि माता-पिता को हर...
हिमाचल हाई कोर्ट ने दी महत्त्वपूर्ण क़ानूनी व्यवस्था जिसमें माता-पिता को गुजारा भत्ता देना संतान की कानूनन जिम्मेदारी
मां को प्रतिमाह दो हजार रुपए देने के लिए हाई कोर्ट ने बेटे को दिए आदेश
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण व्यवस्था दी है कि माता-पिता को हर माह गुजारा भत्ता देना संतान की नैतिक ही नहीं, बल्कि कानूनी जिम्मेदारी भी है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने एक मां द्वारा बेटे से गुजारा भत्ता दिलवाने से जुड़े मामले में प्रदेश हाई कोर्ट ने यह कानूनी स्थिति स्पष्ट की। हालांकि मामले का निपटारा करते हुए कोर्ट ने मातृ ऋण चुकाने का मौका देते हुए बेटे को दो हजार रुपए प्रतिमाह बतौर गुजारा भत्ता देने के आदेश जारी किए। कोर्ट ने बेटे को आदेश दिया कि मां और बेटे के रिश्ते और कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसी माह से प्रत्येक महीने की सात तारीख से पहले उक्त गुजारा भत्ता देना शुरू करें। प्रार्थी के अनुसार वह पांवटा साहिब जिला सिरमौर निवासी है और उसके चार बेटे और चार बेटियां हैं। उसने अपने पति के साथ मिलकर अपनी हैसियत के हिसाब से बच्चों को पढ़ाया-लिखाया और कमाने लायक बनाया। पति की मृत्यु के बाद सभी बेटों ने उनकी कृषि भूमि को बराबर बांट लिया और उसने अपने पास कोई भूमि नहीं रखी। इसके बाद उसे चारों बेटों द्वारा तंग किया जाने लगा और वर्ष 2013 में जबरन घर से निकाल दिया गया।
इसके बाद वह एक बेटे की दया पर दूसरे गांव में रहने लगी। प्रार्थी के अनुसार उसके पास ठहरने का पर्याप्त स्थान न होने के कारण उसकी बेटियां भी उससे मिलने नहीं आ पाती हैं। गुजारा भत्ते के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद दो बेटे पांच हजार रुपए और एक बेटा तीन हजार रुपए प्रतिमाह देने को राजी हो गए। एक बेटे को न्यायिक दंडाधिकारी ने आदेश पारित कर तीन हजार रुपए प्रतिमाह अपनी मां को गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए, जिसे उस बेटे ने सत्र न्यायाधीश के समक्ष चुनौती दी थी। सत्र न्यायाधीश ने बेटे की अपील को स्वीकार करते हुए न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश को खारिज कर दिया था। इस आदेश को मां ने हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी, जिसमें अब उन्हें जीत मिली है।