IIT मंडी ने ड्राइवर अलर्टनेस मैनेजमेंट डिवाइस तैयार किया, ड्राइवर को नींद आने पर ‘सोना नहीं है’ बोलकर अलर्ट करेगा

IIT मंडी के इनोवेशन हब ने किया जबरदस्त कारनामा  सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। लेकिन अब लापरवाही से होने वाले हादसों को कम किया जा सकेगा। आईआईटी...

IIT मंडी ने ड्राइवर अलर्टनेस मैनेजमेंट डिवाइस तैयार किया, ड्राइवर को नींद आने पर ‘सोना नहीं है’ बोलकर अलर्ट करेगा

IIT मंडी ने ड्राइवर अलर्टनेस मैनेजमेंट डिवाइस तैयार किया, ड्राइवर को नींद आने पर ‘सोना नहीं है’ बोलकर अलर्ट करेगा

IIT मंडी के इनोवेशन हब ने किया जबरदस्त कारनामा 

सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। लेकिन अब लापरवाही से होने वाले हादसों को कम किया जा सकेगा। आईआईटी मंडी ने ड्राइवर अलर्टनेस मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया है। एक खास तरह का डिवाइस अब ड्राइवरों का ध्यान नहीं भटकने देगा। चलती बस में नींद आने लगेगी तो यह डिवाइस ‘सोना नहीं है’ बोलकर अलर्ट करेगा। मोबाइल पर बात करने या अन्य तरह से ध्यान हटने पर भी यह डिवाइस अलर्ट करेगा। सीटीयू चंडीगढ़ में इसका सफल ट्रायल हो चुका है। यह डिवाइस पूरी तरह से स्वदेशी है। आईआईटी मंडी के इनोवेशन हब ने इसे तैयार किया है। सबसे पहले देश भर में सैकड़ों चालकों का डाटा एकत्र किया गया।

अलर्ट करने के लिए अलार्म के रूप में स्पीकर से आवाज आएगी और बोलकर चालक को यह अलर्ट करेगी

ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि हमारे देश में कई तरह के लोग हैं। पहनावा, रंग-रूप अलग-अलग है। ऐसे में एआई मॉड्यूल को इस तरह तैयार किया गया कि यह हर रंग-रूप और शक्ल को पहचान पाएगा। इस डिवाइस में एक कैमरा और सीपीयू का इस्तेमाल किया गया है। अलर्ट करने के लिए अलार्म के रूप में स्पीकर से आवाज आएगी और बोलकर चालक को यह अलर्ट करेगी। इस डिवाइस में एआई सॉफ्टवेयर लगाया गया है, जिसे एक छात्र की तरह डाटा सिखाया गया है। उसे बताया गया है कि कौन से समय में अलार्म बजना चाहिए। इसके कई प्रकार के ट्रायल किए गए हैं। यह समय के अनुसार काम करता है।इसमें बताया गया है कि अगर चालक अधिक सेकेंड तक आंखें बंद करता है तो इसे नींद आना माना जाएगा। अगर चालक यूं भी आंखें बंद करता है तब भी उसे यह अलर्ट करती है। 

इस डिवाइस का वजन 300 ग्राम है

अगर इस डिवाइस के खर्चे की बात की जाए तो अभी 10 से 12 यूनिट ही बनाई हैं। जब इसकी अधिक यूनिट बनेंगी तो खर्च कम हो जाएगा। यह बहुत ही हल्का सॉफ्टवेयर है और इसका वजन 300 ग्राम से भी कम है। इसे आसानी से यात्री वाहनों में लगाया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए सरकार को पॉलिसी बनाए जाने के लिए अनुमति की आज्ञा रहती है।

इस टीम ने तैयार किया डिवाइस

डिवाइस बनाने वाली टीम में प्रद्युमन सिंह डायरेक्टर चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सीटीयू), अमित गुप्ता जनरल मैनेजर सीटीयू, सोमजीत अमृत आईआईटी मंडी इनोवेशन हव, डाॅ. गौरव जसवाल शोधकर्ता आईआईटी मंडी इनोवेशन हव, शाहिल जगलन, प्रोजेक्ट मैनेजर आईआईटी मंडी इनोवेशन हव, दीपक कुमार डाटा इंजीनियर आईआईटी मंडी शामिल हैं।

एक शोध से पता चला कि 40 फीसदी सड़क हादसे लापरवाही से

एक शोध के अनुसार, हर साल देश में 40 फीसदी हादसे चालकों की लापरवाही से होते हैं। इनमें से 11 फीसदी हादसे हिमाचल प्रदेश में होते हैं। वहीं, राज्य परिवहन विकास और सड़क सुरक्षा परिषद के आंकड़ों के मुताबिक करीब 1200 मौतें होती हैं। करीब तीन घंटे में एक व्यक्ति की मौत सड़क हादसे में होती है। इन हादसों को रोकने में यह डिवाइस अहम साबित हो सकता है।