नववर्ष के आगमन होते ही जनवरी माह में पहला त्योहार लोहड़ी का आता है तथा इस पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता होती है। इस वर्ष 13 जनवरी, 2024 को लोहड...
लोहड़ी, तीन शब्दों का क्या है मतलब और इस बार कब का शुभ मुहूर्त?
नववर्ष के आगमन होते ही जनवरी माह में पहला त्योहार लोहड़ी का आता है तथा इस पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता होती है। इस वर्ष 13 जनवरी, 2024 को लोहड़ी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। ज्योतिष क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हासिल कर चुके जवाली के ज्योतिषी पंडित विपन शर्मा ने बताया कि प्रदोष काल लोहड़ी का मुहूर्त शाम 05:34 से रात 08:12 बजे तक रहेगा। शुभ मुहूर्त की अवधि 2 घंटे 38 मिनट रहेगी। संक्रांति क्षण शाम 07:55 बजे रहेगी।
लोहड़ी पर्व मनाने की मान्यता
लोहड़ी का पर्व मनाने के पीछे मान्यता है कि आने वाली पीढिय़ां अपने रीति-रिवाजों एवं परंपराओं को आगे ले जा सकें। जनवरी माह में काफी ठंड होती है ऐसे में आग जलाने से शरीर को गर्मी मिलती है, वहीं गुड़, तिल, गचक, मूंगफली आदि के खाने से शरीर को कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं। लोहड़ी शब्द की उत्पति तीन शब्दों से मिलकर हुई है, इसमें ल से लकड़ी, ओ से उपले और डी से रबड़ी यह तीनों ही इस पर्व का मुख्य आकर्षण होते हैं। लोहड़ी के अवसर पर नवजात शिशु और नवविवाहित महिलाओं को आशीष भी दिया जाता है, जिससे घर में सुख शांति बने रहे।
लोग ऐसे मनाते हैं लोहड़ी का पर्व
लोहड़ी पर्व के दिन लोग अलाव जलाते हैं और प्रार्थना करने और देवताओं को धन्यवाद देने के लिए पवित्र अलाव के चारों ओर सभी इकट्ठे होते हैं। इसके बाद लोग लोहड़ी के गीत गाते हुए पवित्र अलाव में मूंगफली, गच्चक, रेबडिय़ां, पॉपकॉर्न और अन्य प्रसाद फेंकते हैं। लोहड़ी उत्सव में मक्के की रोटी, सरसों दा साग, गुड़ और गचक जैसे उत्सव के खाद्य पदार्थों पर दावत शामिल है। लोग अलाव के चारों ओर सांस्कृतिक गीत गाते हुए नृत्य भी करते हैं। इसके अलावा लोहड़ी के दिन दान करना शुभ माना जाता है। विशेष रूप से जरूरतमंद लोगों को भोजन, धन, कपड़े आदि का दान भी दिया जाता है।
लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी को खास रूप से सुना जाता है
लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की कहानी को खास रूप से सुना जाता है। मान्यता के अनुसार मुगल काल में अकबर के शासन के दौरान दुल्ला भट्टी पंजाब में ही रहता है। कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी ने पंजाब की लड़कियों की उस वक्त रक्षा की थी जब संदल बार में लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था। वहीं एक दिन दुल्ला भट्टी ने इन्हीं अमीर सौदागरों से लड़कियों को छुड़वा कर उनकी शादी हिंदू लडक़ों से करवाई थी। तभी से दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से सम्मानित किया जाने लगा और हर साल हर लोहड़ी पर यह कहानी सुनाई जाने लगी।