मेडिकल कॉलेज में इस तरह की लापरवाही स्वास्थ्य विभाग की नीतियों और आदेशों की गंभीर अवहेलना मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) चंबा में स्थित हिमाचल प्रदेश राज्य...
मेडिकल कॉलेज चंबा में सिविल सप्लाई की दुकान पर बिना बिल बिक रहीं दवाएं
मेडिकल कॉलेज में इस तरह की लापरवाही स्वास्थ्य विभाग की नीतियों और आदेशों की गंभीर अवहेलना
मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) चंबा में स्थित हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (सिविल सप्लाई) की दवा दुकान में बिना बिल के दवाएं बेची जा रही हैं, जो सीधे तौर पर स्वास्थ्य विभाग के आदेशों का उल्लंघन है। अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों को दवाई की खरीदारी करते समय बिल नहीं दिया जाता, जबकि निगम का दावा है कि वह दवाओं पर 10 से 40 फीसदी तक छूट देता है। चंबा मेडिकल कॉलेज में राज्य नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा संचालित दवा दुकान पर इस तरह की लापरवाही स्वास्थ्य विभाग की नीतियों और आदेशों की गंभीर अवहेलना है। मरीजों और उनके तीमारदारों को दवाइयां लेने के बाद बिल न मिलने से न सिर्फ वित्तीय पारदर्शिता में कमी आ रही है, बल्कि दवाइयों की स्टॉक और बिक्री पर निगरानी रखने में भी दिक्कतें आ रही हैं।
बिना बिल के दवाइयां बेची जाने की स्थिति में अवैध और नशीली दवाइयों का बढ़ सकता है कारोबार
बिना बिल के दवाइयां बेचना न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इससे दवाईयों की सही मात्रा और बिक्री पर सवाल खड़ा होता है। यह पहली बार नहीं है जब चंबा मेडिकल कॉलेज की राज्य नागरिक आपूर्ति निगम की दवा दुकान पर विवाद सामने आया है। इससे पहले भी मेडिकल कॉलेज से जुड़े एक निजी केमिस्ट की दुकान से नशीली दवाइयों की अवैध बिक्री का मामला सामने आया था। मामले की जांच में यह बात सामने आई थी कि ये दवाइयां राज्य नागरिक आपूर्ति निगम की दुकान से मुहैया करवाई गईं थीं। ऐसे में बिना बिल के दवाइयां बेची जाने की स्थिति में यह डर भी है कि अवैध और नशीली दवाइयों का कारोबार भी बढ़ सकता है, जो मरीजों और समुदाय के लिए खतरनाक हो सकता है। सवाल यह भी उठता है कि जब स्वास्थ्य विभाग ने अपने आदेशों में स्पष्ट रूप से यह निर्देश दिया था कि किसी भी दवाई की बिक्री के समय बिल दिया जाए, तो आखिरकार इस लापरवाही को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है? अस्पताल के मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए यह स्थिति काफी परेशान करने वाली है, क्योंकि उनका स्वास्थ्य तो पहले से ही प्रभावित होता है और अब उन्हें दवाइयों की पारदर्शिता को लेकर भी संदेह का सामना करना पड़ रहा है।
पौने छ: लाख आबादी है निर्भर
लोगों में संजय शर्मा, विनोद कुमार, गुरमीत सिंह, योगराज, शम्मी कुमार, अजय कुमार, महिंद्र सिंह और योगराज ने बताया कि मेडिकल कॉलेज चंबा में जिला की पौने छह लाख आबादी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निर्भर है। रोजाना मरीजों के ऑपरेशन होते हैं। डॉक्टर जो भी दवाई लाने के लिए कहते हैं मरीज सीधे सिविल सप्लाई की दुकान में जाते हैं, जहां पर दवाओं का बिल ही नहीं दिया जाता। डॉ. बिपिन ठाकुर, सीएमओ चंबा के अनुसार स्वास्थ्य विभाग इस मामले की गहनता से जांच करेगा। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।