नववर्ष 2024 के आगमन पर समस्त भारतवासियों को भारतव्यू व बेपोज टेक्नोलॉजी कंपनी की ओर से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाऐं

भारतव्यू व बेपोज टेक्नोलॉजी कंपनी की ओर से नववर्ष 2024 के आगमन पर हिमाचल वासियों व समस्त भारत के लोगों को, और इसके साथ ही हिमाचल में आने वाले पर्यटकों...

नववर्ष 2024 के आगमन पर समस्त भारतवासियों को भारतव्यू व बेपोज टेक्नोलॉजी कंपनी की ओर से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाऐं

नववर्ष 2024 के आगमन पर समस्त भारतवासियों को भारतव्यू व बेपोज टेक्नोलॉजी कंपनी की ओर से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाऐं

भारतव्यू व बेपोज टेक्नोलॉजी कंपनी की ओर से नववर्ष 2024 के आगमन पर हिमाचल वासियों व समस्त भारत के लोगों को, और इसके साथ ही हिमाचल में आने वाले पर्यटकों को नए साल की शुभकामनाऐं, नया साल आप सभी के जीवन में खुशहाली लेकर आए। 

1 जनवरी को नया साल रोमन कैलेंडर व ईसाई धर्म के प्रभाव के कारण ही मनाया जाता है 

सबसे पहले नए साल की शुरुआत 45 BCE में हुई थी। आमतौर पर यही माना जाता है कि, 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा प्राचीन रोमन कैलेंडर से जुड़ी है। उस समय रोमन कैलेंडर मार्च महीने से शुरू होता था और एक साल में कुल 355 दिन होते थे, जिसमें रोमन डिक्टेटर जूलियस सीजर ने 1 जनवरी को साल का पहला दिन बताया था, जूलियस सीजर ने इस कैलेंडर में बदलाव किया था। इस कैलेंडर में साल की शुरुआत को जनवरी के पहले दिन से माना जाता था। सर्दी मौसम का आगमन इसी समय होता है, जिसे नए साल पर नए शुरुआत का प्रतीक माना जाता था। ईसाई धर्म के प्रसार के साथ ही, 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा आम हो गई। चूंकि, यीशु का खतना इसी दिन मनाया जाता है,एक कैथोलिक उत्सव है। इसलिए, ईसाई समुदाय में इसे एक खास तारीख के तौर पर मनाया जाता है। 

ग्लोबल कैलेंडर सिस्टम 

1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा का एक कारण ये भी है कि धीरे-धीरे ज्यादातर देशों ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपना लिया है। इस कैलेंडर में भी यही तारीख साल की शुरुआत के तौर पर निर्धारित है। इस वजह से, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ट्रेड और संचार को सुगम बनाने के लिए भी 1 जनवरी को नए साल का जश्न मनाने का तरीका माना जाता है।

15वीं सदी में पहली बार 1 जनवरी को नया साल मनाया गया था

1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी शुरुआत ग्रेगोरियन कैलेंडर के तहत 15वीं सदी में सन 1582 के अक्टूबर महीने के में हुई थी। आपको बता दें इस तारीख से पहले पूरी दुनिया में जूलियन कैलेंडर फॉलो किया जाता था। उसमें सिर्फ 10 ही महीने होते थे तब क्रिसमस के दिन ही नया साल मनाया जाता था।  लेकिन इसके बाद अमेरिका के एक फिजिशियन अलॉयसिस लिलिअस ने एक नया कैलेंडर दुनिया को दिया।  इसे ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा गया जिसमें साल का पहला दिन 1 जनवरी को माना गया और तभी से 1 जनवरी को नए साल मनाने की परंपरा चली आ रही है।