सराज क्षेत्र के खोलानाल स्कूल के छात्र कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के गृह क्षेत्र सराज के तहत आने वाले दुर्गम क्षेत्र खोलानाल के स्कूल के छात्र कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे शिक्षा ग्रह...

सराज क्षेत्र के खोलानाल स्कूल के छात्र कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर

सराज क्षेत्र के खोलानाल स्कूल के छात्र कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के गृह क्षेत्र सराज के तहत आने वाले दुर्गम क्षेत्र खोलानाल के स्कूल के छात्र कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। बीती 23 अगस्त को भारी बारिश के कारण गांव में आई भयंकर बाढ़ में सीनियर सेकेंडरी स्कूल का भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके साथ ही गांव में भी इस बारिश के कारण भारी तबाही हुई थी।

सरकार बच्चों के लिए कोई न कोई व्यवस्था कर जल्द से जल्द स्कूल भवन का हो निर्माण

प्राइमरी स्कूल के लिए तो गांव में कुछ कमरे खाली मिल गए लेकिन सीनियर सेकेंडरी स्कूल के लिए ऐसी व्यवस्था नहीं हो पाई है। इस स्कूल को पीएचसी के एक अधूरे भवन में चलाया जा रहा है और बच्चों की कक्षाएं खुले आसमान के नीचे चल रही हैं। स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भारी रोष नजर आ रहा है कि सरकार बच्चों के लिए कोई व्यवस्था क्यों नहीं कर पा रही है। स्थानीय निवासी ओम चंद और भूप सिंह ने बताया कि बच्चों को कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठाया जा रहा है। इन्होंने सरकार से जल्द से जल्द भवन का निर्माण करने और तब तक बेहतर ढंग से अस्थायी व्यवस्था करने की मांग उठाई है।

इतनी ठण्ड में खुले आसमान के नीचे पढ़ना और पढ़ाना दोनों मुश्किल

वहीं, जब इस बारे में सीनियर सेकेंडरी स्कूल खोलानाल के प्रधानाचार्य सुरेंद्र कुमार शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कड़कड़ाती ठंड के बीच बच्चों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाना मुश्किल हो रहा है लेकिन जैसे-तैसे इस कार्य को किया जा रहा है। स्कूल की दशा के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया है और यह मांग उठाई गई है कि जल्द से जल्द भवन का निर्माण करवाया जाए।

आपदा के कारण घर भी हुए हैं क्षतिग्रस्त, लोगों के पास स्कूल संचालन के लिए अतिरिक्त कमरे नहीं

बता दें कि खोलानाल गांव में आपदा के कारण कुछ घर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं और यहां पर लोगों के पास अपने घरों में भी स्कूल के संचालन के लिए अतिरिक्त कमरे नहीं है जिस कारण बच्चों को खुले आसमान के नीचे ही शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है।