टीचर का मानदेय 8,450 और चौकीदार का 10,630 रुपए , ये है शिक्षा विभाग का कारनामा

शिक्षा विभाग का एक कारनामा खूब चर्चा में है और वो है चौकीदार का मानदेय वो भी टीचर से अधिक हिमाचल में बेरोजगार सरकारी नौकरी की तलाश में है। सरकारी न...

टीचर का मानदेय 8,450 और चौकीदार का 10,630 रुपए , ये है शिक्षा विभाग का कारनामा

टीचर का मानदेय 8,450 और चौकीदार का 10,630 रुपए , ये है शिक्षा विभाग का कारनामा

शिक्षा विभाग का एक कारनामा खूब चर्चा में है और वो है चौकीदार का मानदेय वो भी टीचर से अधिक

हिमाचल में बेरोजगार सरकारी नौकरी की तलाश में है। सरकारी नौकरी पाने के लिए युवा खूब मेहनत भी करते हैं। शिक्षा विभाग की बात करें तो प्रदेश के कई स्कूलों में अध्यापकों के रिक्त पद हैं। सरकार की ओर से स्कूलों में रिक्त पदों को भरने की बात बार-बार कही जाती है लेकिन भर्तियों में कोई ना कोई पेंच फंस जाता है। बहरहाल इन दिनों शिक्षा विभाग का एक कारनामा खूब चर्चा में है और वो है चौकीदार का मानदेय वो भी टीचर से अधिक।

पार्ट टाइम टीचर के लिए बीएससी, एमएससी, बीएड के साथ टेट परीक्षा का पास होना अनिवार्य 

आप सोच रहे होंगे ऐसा कैसे तो चंबा जिला के भरमौर के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की ओर विज्ञापन दिया गया, जिसमें एक पार्ट टाइम टीचर और एक चौकीदार के लिए आवेदन मांगे गए। मसला ये नहीं था मसला था मानदेय इस विज्ञापन में इसमें टीचर को मानदेय 8450 रुपए और चौकीदार का मानदेय 10,630 रुपए देने की बात कही गई है। पार्ट टाइम टीचर के लिए बीएससी, एमएससी, बीएड के साथ टेट परीक्षा (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास होना अनिवार्य किया गया है, जबकि चौकीदार के लिए 10 वीं पास की शर्त लगाई है। विज्ञापन अब सोशल मीडिया पर वायरल हो और शिक्षा विभाग पर लोग तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस मानदेय के पीछे चंबा के डिप्टी डायरेक्टर एजुकेशन पीएल चड़क का तर्क है कि टीचर पार्ट टाइम है, जबकि चौकीदार फुल टाइम रखा जाना है। इसलिए टीचर का मानदेय कम है और चौकीदार का ज्यादा है।

बड़ा सवाल ये है कि हिमाचल में न्यूनतम दिहाड़ी 400 रुपए है। इस हिसाब से कम से कम 12 हजार रुपए मानदेय अनिवार्य रूप से होना चाहिए। मगर शिक्षा विभाग के इस विज्ञापन के अनुसार, ना तो टीचर और ना ही चौकीदार को न्यूनतम मानदेय दिया जा रहा है। उधर बेरोजगारों ने सरकार के पार्ट टाइम भर्तियों के फैसले पर बवाल किया था और सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। अगर सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया था तो शिक्षा विभाग ने यह विज्ञापन क्यों दिया।