तीसा में धड़ल्ले से चल रहा कशमल की जड़ें निकालने का काम, 18 रूपए किलो विक रही

क्षेत्र के प्रबुद्धजनों ने वन विभाग के डीएफओ से चुराह क्षेत्र के जंगलों में कशमल की जड़ें उखाड़ने वालों पर कार्रवाई की मांग की     चुराह...

तीसा में धड़ल्ले से चल रहा कशमल की जड़ें निकालने का काम, 18 रूपए किलो विक रही

तीसा में धड़ल्ले से चल रहा कशमल की जड़ें निकालने का काम, 18 रूपए किलो विक रही

क्षेत्र के प्रबुद्धजनों ने वन विभाग के डीएफओ से चुराह क्षेत्र के जंगलों में कशमल की जड़ें उखाड़ने वालों पर कार्रवाई की मांग की    

चुराह उपमंडल में कशमल की जड़ें निकालने का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। लोग निर्धारित जगहों को छोड़कर वन भूमि से कशमल की जड़ें उखाड़ रहे हैं। सेईकोठी से लेकर सनवाल तक सड़क किनारे पर जगह-जगह कशमल की जड़ों के ढेर लगे हैं। रोजाना चुराह क्षेत्र से पांच से छह गाड़ियां बाहरी राज्यों के लिए भेजी जा रही हैं। ठेकेदार भी कशमल की जड़ें उखाड़ने वालों से 18 रुपये प्रति किलो की दर से इसकी खरीद कर रहे हैं। क्षेत्र के प्रबुद्धजनों ने वन विभाग के डीएफओ से चुराह क्षेत्र में जंगलों में कशमल की जड़ें उखाड़ने वालों पर कार्रवाई करने की मांग की है।

कशमल की जड़ें उखाड़ने से ग्रामीणों की चरागाहें तबाह हो चुकी हैं 

सेईकोठी-प्रतिमास, देहग्रा-हरतवास, हियाड़, शक्तिनाला, ब्रुइला,सनवाल, नरवाड़ नाला, शनेड़ा नाला तक सड़क किनारे कशमल की जड़ों के ढेर देखे जा सकते हैं। वन विभाग की कार्रवाई के बाद कुछ दिन तक कशमल की जड़ें उखाड़ने का काम बंद हो जाता है। कुछ समय बाद यह क्रम फिर शुरू कर दिया जाता है। कशमल की जड़ें उखाड़ने से ग्रामीणों की चरागाहें तबाह हो गई हैं। मिट्टी की पकड़ ढीली होने से बारिश होने पर भूस्खलन का खतरा पैदा हो जाता है। उधर, डीएफओ सलूणी सुशील कुमार गुलेरिया ने बताया कि जंगलों में विभागीय टीमें दबिश देकर बिना अनुमति के कशमल की जड़ें उखाड़ने वालों पर नकेल कसेंगी।