आज भारत 76वां सेना दिवस मना रहा है जो अपने आप में विशेष है

हर साल 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। भारतीय सेना एक पेशेवर सेना है, जो देश की सुरक्षा को लेकर हमेशा प्रतिबद्ध रहती है। युद्ध लडऩा हो, दे...

आज भारत 76वां सेना दिवस मना रहा है जो अपने आप में विशेष है

आज भारत 76वां सेना दिवस मना रहा है जो अपने आप में विशेष है

हर साल 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। भारतीय सेना एक पेशेवर सेना है, जो देश की सुरक्षा को लेकर हमेशा प्रतिबद्ध रहती है। युद्ध लडऩा हो, देश में किसी बड़ी त्रासदी के आने के बाद रेस्क्यू करना हो या आपातकाल स्थिति में जल्द से जल्द जरूरतमंद लोगों के पास मदद पहुंचाने का काम हो भारतीय सैनिक हर जगह मुस्तैदी के साथ काम करते है। आज 15 जनवरी को भारत अपना 76वां सेना दिवस मना रहा है । इस गौरव पूर्ण मौके पर नई दिल्ली और देश के विभिन्न सैन्य मुख्यालय में रंगारंग कार्यक्रम हुए। क्या आपको इस बारे में पता है कि आखिर भारतीय सेना दिवस को मनाने की शुरुआत कब से हुई।

भारतीय सेना दिवस पर भारतीय सेना के गठन का इतिहास 

15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है भारतीय सेना दिवस भारतीय सेना का गठन ब्रिटिश सम्राज्य के अधीन किया गया था। यह वह समय था जब सेना सेना में वरिष्ठ अधिकारी ब्रिटिश के ही हुआ करते थे। गौर करने वाली बात है कि 1947 में देश के आजाद होने के बाद भी सेना में जो वरिष्ठ अधिकारी थे वे ब्रिटिश मूल के ही थे। साल 1949 में जनरल फ्रांसिस बउचचर आखिर ब्रिटिश सेना के कमांडर थे वे भी ब्रिटिश मूल के थे। उनके जाने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल केएम करियप्पा भारत के पहले भारतीय अधिकारी बने थे।15 जनवरी के दिन ही भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल केएम करियप्पा ने भारतीय सेना की कमान जनरल फ्रांसिस बउचचर से ली थी । वह भारतीय सेना के लिए एक बहुत ही खास क्षण था। देश की सेना का नेतृत्व किसी भारतीय के हाथ में पहुंचा था। इसी वजह से हर साल 15 जनवरी के ही दिन भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है ।

केएम करियप्पा भारतीय सेना में फील्ड मार्शल की पांच सितारा रैंक वाले अधिकारी थे 

भारतीय सेना में फील्ड मार्शल की पांच सितारा रैंक वाले दो ही अधिकारी रहे है। पहले केएम करियप्पा और दूसरे अधिकारी फील्ड मार्शल शैम मानेक शॉ। केएम करियप्पा का जन्म 28 जनवरी, 1900 को कर्नाटक में हुआ था। पहले विश्व युद्ध 1914 से 1918 के दौरान उन्हें सैन्य प्रशिक्षण मिला था। 1942 में करियप्पा लेफ्टिनेंट कर्नल का रैंक पाने वाले पहले भारतीय अफसर बने। 1944 में उन्हें ब्रिगेडियर बना दिया और बन्नू फ्रंटियर ब्रिगेड के तौर पर तैनात किया। 15 जनवरी, 1986 को उन्हें फील्ड मार्शल बनाने की घोषणा हुई तब उनकी उम्र 86 साल थी।